चीनी राज्य परिषद के प्रेस कार्यालय ने 6 सितंबर को राजधानी पेइचिंग में प्रेस सम्मेलन आयोजित किया। सम्मेलन में तिब्बत में "जातीय क्षेत्र की स्वशासन प्रणाली" लागू करने की जानकारी दी गई।
बता दें कि फिलहाल दलाई लामा ने यह आलोचना की कि चीनी कम्युनिस्ट पार्टी जीवित बुद्ध अवतार के अर्थ को सही रूप से समझ नहीं पाई है। सम्मेलन में तिब्बत स्वायत्त प्रांत के युनाइटेड फ्रंट कार्य विभाग के अधिकारी लोबुट्वेंचु ने इसका विरोध करते हुए कहा कि चाहे दलाई लामा कुछ भी क्यों न बोलें,या कुछ भी करें, वे जीवित बुद्ध अवतार के बारे में केंद्रीय सरकार के तय अधिकार को अस्वीकार नहीं कर सकते।
लोबुट्वेंचु ने कहा कि जीवित बुद्ध अवतार तिब्बती बौद्ध धर्म में एक बहुत महत्वपूर्ण अवतार व्यवस्था है, जिसपर केंद्रीय सरकार बड़ा ध्यान देती है। विशेष रूप से इस जीवित बुद्ध अवतार व्यवस्था की स्थापना के बाद, वर्ष 1793 में छिंग सरकार ने विशेष नियम जारी कर जीवित बुद्ध अवतार के बारे में केंद्रीय सरकार के तय करने के अधिकार को स्पष्ट और विनियमित किया। उधर वर्तमान केंद्रिय सरकार हमेशा के लिये तिब्बत के इतिहास और धर्म को समान रूप से महत्व देती है। वर्ष 2007 में चीनी राज्य परिषद के धर्म से संबंधित मामला कार्यालय ने तिब्बती बौद्ध धर्म में जीवित बुद्ध अवतार से संबंधित नीति भी जारी की। इसलिये चाहे दलाई लामा कुछ भी क्यों न बोलें,या कुछ भी करें, वे जीवित बुद्ध अवतार के बारे में केंद्रीय सरकार के तय अधिकार को अस्वीकार नहीं कर सकते।
लोबुट्वेंचु ने आगे कहा कि दलाई लामा द्वारा तय किए गए तथाकथित "पंचेन लामा", वास्तव में यह दलाई लामा ने इतिहास की उपेक्षा करके और धार्मिक नियमों का उल्लंघन करके अपनी इच्छा से तय किया है। ऐसे "पंचेन लामा" अवैध हैं और किसी कार्य के भी नहीं हैं।
(रमेश)