सीपीसी की केंद्रीय समिति के संयुक्त मोर्चा विभाग के चीनी सोशल नेटवर्किंग साइट वीचैट का आईडी टोंगझानसीनयू ने एक लेख की पुष्टि की है। इस लेख में केंद्र की छठी तिब्बत कार्य बैठक की व्याख्या की गई है। 14वें दलाई लामा गुट पर इस लेख में लिखा गया है कि पहले सीपीसी की केंद्रीय समिति ने "मध्यम मार्ग " को स्वीकार नहीं किया। वर्तमान में केंद्रीय समिति "मध्य मार्ग " को स्वीकार नहीं करती है। भविष्य में भी केंद्रीय समिति "मध्य मार्ग " को स्वीकार नहीं करेगी।
इस लेख के अनुसार तिब्बत में लोगों की बढ़ रही सामग्री और सांस्कृतिक जरूरत और पिछड़े सामाजिक उत्पादन के बीच मुख्य विरोध बरकरार है। तिब्बती लोगों और दलाई लामा गुट समेत अलगाववादी दलों के बीच विशेष विरोध भी नहीं बदला। अगर तिब्बत में अलगाववाद-विरोधी लड़ाई और राष्ट्रीय एकता क्षेत्रों में समस्या पैदा हो, तो चीन में सुधार, विकास और स्थिरता योजना प्रभावित होगी।
14वें दलाई लामा गुट की अलगाववादी प्रकृति नहीं बदली, जबकि उसका साधन बदल रहा है। चौदहवें दलाई लामा गुट ने "मध्यम मार्ग" संबंधी बात कही और इस बात को स्वीकार नहीं किया कि तिब्बत चीन की प्रादेशिक भूमि का एक भाग है। उन्होंने कहा कि वर्ष 1950 के पहले तिब्बत एक स्वतंत्र राज्य था। उन्होंने चीनी संविधान में संबंधित सिद्धांतों का विरोध किया। उन्होंने तिब्बत में समाजवाद तंत्र और जातीय क्षेत्रीय स्वशासन तंत्र को स्वीकार नहीं किया। उन्होंने चीनी प्रशासनिक क्षेत्रों के प्रभाग को भी स्वीकार नहीं किया। वास्तव में "मध्यम मार्ग " अलगाववादियों की एक राजनीतिक आवश्यकता है। पहले सीपीसी की केंद्रीय समिति ने "मध्यम मार्ग " को स्वीकार नहीं किया था। वर्तमान में केंद्रीय समिति "मध्यम मार्ग" को स्वीकार नहीं करती। भविष्य में केंद्रीय समिति "मध्यम मार्ग" स्वीकार नहीं करेगी।
तिब्बती बौद्ध धर्म की चर्चा में कहा गया कि दलाई लामा गुटसे संघर्ष करने के कारण तिब्बती लोगों की धार्मिक आस्था की स्वतंत्रता में हस्तक्षेप और प्रतिबंध नहीं लगाया जाना चाहिए । इसके साथ ही चीन को मंदिरों के प्रबंधन को मजबूत करना चाहिये। इसके अलावा चीन को तिब्बती बौद्ध धर्म और समाजवादी समाज के बीच समन्वय को आगे बढ़ाना चाहिये।
(हैया)