चीनी राज्य परिषद के न्यूज़ कार्यालय ने 15 अप्रैल को"तिब्बत में विकास का रास्ता ऐतिहासिक विकल्प"शीर्षक पर एक श्वेत पत्र जारी किया। जिसमें तिब्बत के विकास में प्राप्त ऐतिहासिक सफलताओं से अवगत कराया गया और व्याख्या की गई है कि तिब्बत में विकास का रास्ता इतिहास के अनुकूल अपरिहार्य विकल्प है।
करीब 27 हज़ार शब्दों वाले इस श्वेत पत्र में बड़ी मात्रा में आंकड़ों और तथ्यों से 5 पहलुओं पर परिचय दिया गया कि तिब्बत में विकास का रास्ता ही इतिहास का विकल्प है। यह पांच पहलु हैं पुरानी व्यवस्था तिब्बत के ऐतिहासिक मंच से अनिवार्य रूप से हटाना, नया तिब्बत सही विकसित रास्ते पर आगे बढ़ना, दलाई लामा के"बीच के रास्ते"का वास्तविक अर्थ चीन को विभाजित करना, तथाकथित"शांति"और"अहिंसा"का झूठ होना और 14वें दलाई लामा के प्रति केंद्रीय सरकार की नीति।
श्वेत पत्र में कहा गया कि तिब्बत प्राचीन काल से ही चीन का एक अभिन्न अंग है। तिब्बती जाति चीनी राष्ट्र का एक हिस्सा है। तिब्बत का भाग्य हमेशा मातृभूमि और चीनी राष्ट्र के भाग्य के साथ घनिष्ठ रूप से जुड़ा हुआ है। वर्ष 1949 में चीन लोक गणराज्य की स्थापना के बाद तिब्बत सच्चे मायने में आधुनिक सभ्यता में प्रवेश कर चुका है। इसी दौरान तिब्बत शांतिपूर्ण मुक्ति, लोकतांत्रिक सुधार, स्वायत्त प्रदेश की स्थापना, सुधार और खुलेपन जैसे महत्वपूर्ण विकसित दौर से गुजर रहा है। तिब्बत में नई सामाजिक व्यवस्था स्थापित किये जाने के साथ ही आर्थिक और सामाजिक विकास का ऐतिहासिक लाभ साकार हुआ है। इस समय तिब्बत चीनी विशेषता वाले समाजवादी रास्ते पर आगे बढ़ रहा है। यह आधुनिक विकास की वस्तुगत मांग ही नहीं, मानव जाति की प्रगति की धारा के अनुकूल भी है। तिब्बत का विकास चीनी राष्ट्रीय स्थिति और विकास की वास्तविक हालत से ही नहीं, बल्कि तिब्बत में विभिन्न जातियों की जनता के मूल हितों से भी मेल खाता है।
श्वेत पत्र में यह भी कहा गया है कि तिब्बत में विकास का रास्ता इतिहास का विकल्प ही नहीं, जनता का विकल्प भी है। तथ्यों से जाहिर है कि एकता पर डटे हुए अलगाववाद का विरोध करना, प्रगति पर डटे हुए पीछे हटने का विरोध करना, स्थिरता पर बने रहते हुए अस्थिरता का विरोध करना तिब्बत के सुनहरे भविष्य के अनुकूल है। ऐतिहासिक धारा का विरोध करने वाला कोई व्यक्ति और शक्ति इतिहास और जनता से दूर होगा।
(श्याओ थांग)