तिब्बत में एक महीने तक घूमने के बाद जर्मन एथनोलॉजिस्ट इंगो नेंटविग ने हाल ही में चीनी मीडिया के साथ हुए एक साक्षात्कार में बताया कि बहुत सारे पश्चिमी लोगों के दिमाग में तिब्बत की जो तस्वीर मौजूद है, वह असली तिब्बत से काफी अलग है। जो तिब्बत नहीं गये हैं, उनको तिब्बत मामले पर बोलने का अधिकार नहीं है।
इंगो नेंटविग ने बताया कि तिब्बती लोगों के विचारों का पता लगाने के लिए उन्होंने तिब्बत में पुराने कुलीन , तिब्बती अधिकारी, विद्वान, बौद्ध लामा, चरवाहे और ड्राइवर समेत विभिन्न वर्गों के लोगों से संपर्क किया। आमने सामने हुए संपर्क से उनको ये आभास हुआ कि तिब्बती जाति और अन्य जातियों के बीच मुख्य अंतर सांस्कृतिक परंपरा और आचरण के तरीके हैं, लेकिन कुछ पश्चिमी लोगों के बीच परोक्ष अनुभूति के आधार पर तिब्बत को परीलोक का दर्जा देने की कुछ बातें हास्यास्पद हैं।
इंगो नेंटविग के विचार में कुछ जानबूझ कर तथ्यों को तोड़ मरोड़कर चीन के विरुद्ध किये जाने वाले प्रचार को छोड़कर तिब्बत के सामान्य आधुनिकीकरण को चीनीकरण के रूप में दिखाने का गलत विचार भी मौजूद है। उदाहरण के लिए कुछ पश्चिमी लोगों का दावा है कि छिंगहाई-तिब्बत रेलवे चीन के हान जाति के बड़े पैमाने पर आसन का साधना है। वास्तव में इस रेलवे लाईन से तिब्बत जाने वाले यात्रियों को बहुत लाभ मिला है।
इंगो नेंटविग ने बताया कि तिब्बत के लिए हान जाति की संस्कृति के साथ आदान प्रदान अच्छी बात है। अगर कोई संस्कृति सिर्फ जस ही तह बनी रहेगी और सुधार का अनुसरण नहीं करेगी, तो वह पिछड़ जाएगी। तिब्बती क्षेत्रों में चीनी संस्कृति के प्रचार पर आरोप लगाने का कोई आधार नहीं है।