तिब्बती नववर्ष के दौरान तिब्बत की राजधानी ल्हासा के बाजा़रों में रंगबिरंगी तिब्बती पोशाक, विभिन्न प्रकार की मिठाइयां, याक मीट और चाय जैसी वस्तुएं उपलब्ध हैं। इनके अलावा भारत और नेपाल से निर्यातित वस्तुओं से ल्हासा के बाज़ार अधिक विविधतापूर्ण हो गए हैं।
जोखान मठ के पास तानच्येलीन सड़क पर एक नेपाली दुकान है। जहां खरीदारों की संख्या बहुत अधिक है। ल्हासा वासी वांगमू ने कुछ नेपाली बिस्कुट और मिठाइयां खरीदी। उसने कहा कि इन वस्तुओं की कीमत सस्ती है, लेकिन स्वाद अच्छा है। उसने नए साल के मौके पर अपने बच्चों के लिए खरीदी।
इस दुकान में मुख्य तौर पर नेपाल से निर्यातित खाद्य पदार्थ, शैम्पू और साबुन बेचे जाते हैं। दुकान मालिक के मुताबिक तिब्बती नववर्ष के दौरान हर दिन 10 हज़ार युआन की बिक्री होती है।
वहीं ल्हासा में शॉल बेचने वाले व्यापारी लू ने कहा कि वे खुद तिब्बत और नेपाल के बीच पोर्ट जाकर चीज़ें खरीदते हैं। पहले बस से आने-जाने में एक से दो दिन लगते थे। लेकिन वर्तमान में ल्हासा और शिकाज़े के बीच ट्रेन सेवा उपलब्ध है, सिर्फ एक दिन में काम हो जाता है।
गौरतलब है कि ल्हासा से शिकाज़े तक ट्रेन उपलब्ध होने के बाद ल्हासा के व्यापारियों को शिकाज़े से नेपाल के बीच सीमावर्ती चांगमू पोर्ट जाने में सुविधा होती है। लगातार संपूर्ण हो रहे व्यापारिक संस्थापनों और विस्तृत हो रहे व्यापारिक ढांचे से अधिक से अधिक नेपाली और भारतीय वस्तुएं तिब्बत में आती हैं। आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2014 में तिब्बत में लघु सीमावर्ती व्यापार 12 अरब 17 करोड़ 40 लाख युआन था, जो तिब्बत के कुल विदेश व्यापार का 87.91 प्रतिशत हिस्सा है।
(श्याओ थांग)