ह्यूस्टन स्थित चीनी कांसुलेट के पूर्व जनरल काउंसिल वू चूरोंग ने 4 फरवरी को《पेइचिंग दैनिक》में लेख प्रकाशित कर कहा कि अमेरिका ने 5 फरवरी को राष्ट्रपति बराक ओबामा और दलाई लामा के साथ नाश्ता करने का कार्यक्रम जान बूझकर बनाया। अमेरिका का उद्देश्य धार्मिक मुद्दे का प्रयोग कर चीन के अंदरूनी मामलों में हस्तक्षेप करना है, साथ ही मनमाने ढंग से चीन में धार्मिक विश्वास की स्वतंत्र नीति पर हमला करना और चीन-अमेरिका संबंधों को क्षति पहुंचाना है।
वू चूरोंग ने"दलाई लामा का प्रयोग कर चीन के अंदरूनी मामलों में हस्तक्षेप करने से लोगों का समर्थन नहीं मिलेगा"शीर्षक लेख में कहा कि अमेरिका की यह कार्रवाई असामान्य है। दलाई लामा का स्थान उन्नत करने के पीछे गहरे राजनीतिक और कूटनीतिक कारण मौजूद हैं।
उनका मानना है कि अमेरिका ने तिब्बत को चीन की प्रादेशिक भूमि का एक अभिन्न अंग माना है। उसे मालूम है कि दलाई लामा धार्मिक कार्यवाही की आड़ में लंबे अरसे से चीन को विभाजित करने में लगे एक राजनीतिक निर्वासित है। अमेरिका ने चीन सरकार और चीनी जनता के जबरदस्त विरोध को अनदेखा कर दलाई लामा के अमेरिका में तथाकथित धार्मिक गतिविधि का प्रयोग कर चीन के अंदरूनी मामले पर हस्तक्षेप किया है, जिस से अमेरिका का चीन के विकास और उत्थान को धीमा करने का रणनीतिक इरादा जाहिर हुआ है।
(श्याओ थांग)