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    पेइचिंग में 2015 भारत पर्यटन वर्ष उद्घाटित
    2015-02-02 19:50:35 cri

    "वर्ष 2015 भारतीय पर्यटन वर्ष"का उद्घाटन समारोह 2 फरवरी को पेइचिंग में आयोजित हुआ। चीनी प्रधानमंत्री वांग यांग, भारतीय विदेशमंत्री सुषमा स्वराज समेत दोनों देशों के नेताओं और प्रतिनिधियों ने उद्घाटन समारोह में भाग लिया। चीनी उप प्रधानमंत्री वांग यांग ने भाषण देते हुए चीन सरकार की ओर से भारतीय पर्यटन वर्ष के आयोजन पर हार्दिक बधाई दी। उन्होंने कहा:

     "दोनों देशों के लगातार आर्थिक विकास और दोनों देशों की जनता के जीवन स्तर में निरंतर उन्नति के चलते चीन और भारत पर्यटन विकास के स्वर्ण काल से गुज़र रहे हैं। चीन अपने देश में भारतीय पर्यटन संसाधन के प्रचार करने का समर्थन करना चाहता है, और साथ ही चीनी नागरिकों के भारत की यात्रा करने के लिए सुविधा मुहैया कराने को तैयार है। चीन को आशा है कि भारत वीज़ा नीति में ढील बरतेगा और इमिग्रेशन को सरल बनाएगा। मुझे आशा है कि दोनों पक्ष एक दूसरे के यहां पर्यटन वर्ष मनाने के अवसर का लाभ उठाते हुए द्विपक्षीय पर्यटन सहयोग मज़बूत करेंगे।"

    चीन और भारत पड़ोसी देश हैं, दोनों देशों की जनता के बीच आवाजाही का इतिहास बहुत पुराना है। भारतीय विदेशमंत्री सुषमा स्वराज ने उद्घाटन समारोह में भारत के विविधतापूर्ण पर्यटन संसाधन का परिचय देते हुए कहा कि पर्यटन के विकास से दोनों देशों की जनता के बीच संबंध को बढ़ावा देना द्विपक्षीय गैर-सरकारी संपर्क और आवाजाही के लिए अहम भूमिका निभाएगा। इधर के सालों में चीन और भारत का संबंध लगातार मज़बूत हो रहा है। दोनों देशों की जनता के बीच आवाजाही भी लगातार बढ़ रही है। प्राचीन सभ्यता वाले देशों के रूप में चीन और भारत नवोदित विकसित हो रहे बड़े देश भी हैं। जिनके पास पर्यटन संसाधन प्रचुरता में हैं।

    चीन स्थित भारतीय राजदूत अशोक कंठ ने कहा: "भारत चीन के बराबर विविधतापूर्ण संस्कृति और परंपरा उपलब्ध देश है। मुझे विश्वास है कि दोनों देशों में एक दूसरे का उच्च स्तरीय पर्यटन वर्ष के आयोजन से द्विपक्षीय जनता के बीच पारस्परिक आवाजाही जरूर बढ़ेगी।" उद्घाटन समारोह में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो भाषण दिया। उन्होंने कहा कि हज़ारों वर्षों में भारत और चीन को अटूट कड़ी से जोड़ा जाता है। हमारे पास अपनी-अपनी सभ्यताएं हैं। हमने विश्व के लिए भारी योगदान भी किया। आशा है कि पारस्परिक आवाजाही के माध्यम से एक दूसरे की समझ बढ़ेगी। अतुल्य भारत आप लोगों का स्वागत करता है। गौरतलब है कि सितंबर वर्ष 2014 में चीनी राष्ट्राध्यक्ष शी चिनफिंग ने भारत यात्रा के दौरान नरेंद्र मोदी के साथ समान रुप से"चीन-भारत सांस्कृतिक आदान प्रदान योजना"

    शुरु करने का फैसला किया। ताकि दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक और मानविकी आवाजाही बढ़ सके। दोनों नेताओं ने सहमति जतायी कि वर्ष 2015 में चीन में भारतीय पर्यटन वर्ष का आयोजन किया जाएगा और वर्ष 2016 में भारत में चीनी पर्यटन वर्ष मनाया जाएगा। इसी दौरान चीन और भारत सिलसिलेवार कार्यक्रम आयोजित करेंगे।

    पेइचिंग स्थित भारतीय पर्यटन ब्यूरो के प्रथम प्रतिनधि दीपा लश्कर ने सीआरआई संवाददाता के साथ हुए साक्षात्कार में कहा: "अधिकांश चीनी मित्रों के पास भारतीय शहरों की समझ दिल्ली, आगरा और जयपुर पर केंद्रित होती है। लेकिन भारत के कई स्थलों का दौरा योग्य है। उत्तर भारत के अलावा केरल प्रदेश समेत दक्षिण भारतीय शहर भी मनमोहक हैं। मुझे आशा है कि चीनी मित्र की भारत के प्रति समझ व्यक्तियों के बीच आवाजाही से बढ़ेगी। यह भारतीय पर्यटन वर्ष के आयोजन के लक्ष्यों में से एक भी है।"

    चीन में कहावत है कि हज़ारों पुस्तकें पढ़ने के बाद हज़ारों मील की सैर करना चाहिए। भारतीय कवि रविनद्रनाथ टैगोर ने कहा था कि व्यक्ति के बाहरी दुनिया में प्रवेश कर मन के पवित्र भवन तक पहुंच सकता है। पर्यटन मानव के बीच, मानव और शहर के बीच पुल बन जाएगा। विश्व में सबसे अधिक जनसंख्या वाले देश के रूप में चीन और भारत के बीच आने वाले दिनों में सहयोग का विशाल दायरा होगा। विश्वास है कि दोनों देशों को एक दूसरे के यहां पर्यटन वर्ष के आयोजन से लाभ मिलेगा और हाथ से हाथ मिलाकर समान जीत साकार करेंगे।

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