अमेरिकी राष्ट्रीय स्वास्थ्य अनुसंधान प्रतिष्ठान यानी एनआईएच ने 26 नवंबर को इबोला टीके की सफलता की घोषणा की और ये बताया कि इस टीके ने क्लिनिकल परीक्षण भी पास कर लिया है। इस बात की पुष्टि भी हुई है कि ये टीका सुरक्षित और कारगर है।
यह परिणाम अमेरिका की एक चिकित्सा पत्रिका में जारी हुआ है। लेख के अनुसार एनआईएच के अधीन एलर्जी औऱ संक्रामक रोग के अनुसंधान प्रतिष्ठान औऱ ग्लैक्सो कंपनी के अनुसंधान कर्ताओं ने इबोला वायरस से कुछ डीएनए लेकर मानव के सेल में डालने के बाद अंत में ये टीका बनाया।
जानवरों के परीक्षण के बाद अनुसंधानकर्ताओं ने सितंबर से मैरीलैंड प्रांत में स्थित एनआईएच क्लिनिकल केंद्र में मानव पर परीक्षण शुरू किया था। पहली खेप वाले स्वयंसेवकों की संख्या 20 है, जिनकी उम्र 18 से 50 वर्ष है। इन स्वयंसेवकों पर टीका लगाने के बाद उनके इम्यून सिस्टम में इबोला वायरस की एंटीबॉडी पैदा हुई।
एलर्जी और संक्रामक रोग के अनुसंधान प्रतिष्ठान के प्रधान ने 26 नवंबर को बयान जारी कर कहा कि स्वयंसेवकों के शरीर में पैदा हुए एंटीबॉडी औऱ इम्यून सेल एक सकारात्मक संदेश है। उन्होंने कहा कि भविष्य में अनुसंधानकर्ता अमेरिका और पश्चिमी अफ़्रीका में इस टीके की सुरक्षा से जुड़े और कुछ परीक्षण करेंगे।
चंद्रिमा