चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता होंग लेई ने 22 नवंबर को जापान सरकार के लिखित जवाब पत्र से जुड़े कुछ सवालों का जवाब दिया।
संवाददाता ने पूछा कि 21 नवंबर को जापान सरकार ने त्याओयू द्वीप मामले और यासुकूनी मंदिर मामले पर लिखित जवाब पत्र पारित किया था। चीन इस पर क्या टिप्पणी करना चाहता है?
होंग लेई ने कहा कि त्याओयू द्वीप और उसके अधीन द्वीप पुरातन समय से ही चीन की ही भूमि है। यह बेशक है कि चीन को इसकी प्रभुसत्ता प्राप्त है। साथ ही चीन सरकार के अपने देश की प्रादेशिक अखंडता और प्रभुसत्ता की रक्षा करने की संकल्प और दृढ़ता अविचल रहेगी। हम जापान से चीन की प्रादेशिक अखंडता और प्रभुसत्ता को नष्ट करने की सभी कार्रवाई बंद करने का आग्रह करते है। चीन इसका कड़ा विरोध करता है कि जापानी नेता किसी तरीके से यासुकूनी मंदिर के दर्शन करते हैं और जापान से अपने आक्रामक इतिहास को सही रूप में देखने का आग्रह भी करते हैं।
उन्होंने कहा कि हम जापान से आग्रह करते हैं कि उसे अपने वचन का पालन कर सच्चे दिल से वास्तविक कार्रवाई द्वारा चीन औऱ जापान के बीच प्राप्त चार सहमतियों की रक्षा करनी और इन सहमतियों को लागू करना चाहिये, वर्तमान में दोनों देशों के संबंधों में मौजूद मामलों का समाधान अच्छी तरह से करना चाहिये, दोनों देशों के संबंधों के सुधार और विकास के लिये अपना प्रयास जारी रखना चाहिये।
चंद्रिमा