भारत स्थित चीनी राजदूत वेइवेइ ने 14 अप्रैल को भारत के मुख्य अंग्रेजी अख़बार इकोनोमिक टाइम्स में पुरातन सभ्यताएं मिलकर रेशम मार्ग का गौरव बनाए नामक एक लेख जारी किया। इसमें उन्होंने रेशम मार्ग के आर्थिक क्षेत्र व 21वीं शताब्दी के समुद्री रेशम मार्ग पर प्रकाश डाला।
लेख में लिखा गया है कि 1600 वर्षों से पहले चीनी भिक्षु 65 वर्षीय फ़ाशियेन ने सच्चे सूत्र लेने के लिये रेशम मार्ग द्वारा भारत की यात्रा की। सूत्र प्राप्त करके वे समुद्री रास्ते से देश वापस लौटे। इस समुद्री रास्ते को समुद्री रेशम मार्ग माना जाता है।
फिलहाल चीनी राष्ट्राध्यक्ष शी चिनफिंग ने इस पुरातन रेशम मार्ग पर नयी जीवन शक्ति डाली है और रेशम मार्ग के आर्थिक क्षेत्र और 21वीं शताब्दी समुद्री रेशम मार्ग का निर्माण पेश किया। चीन और खुलेपन के रास्ते पर चलकर खासतौर से पश्चिम की दिशा में खुलेपन के मौके पर पड़ोसी देशों के साथ सहयोग को मजबूत करना, और एशिया के व्यापक विकास के लिये शक्ति डालना चाहता है। ताकि एशिया जल्द ही गरीबी और पिछड़ेपन से दूर होकर विश्व परिवार में एक शांतिपूर्ण, समृद्ध व सुखमय सदस्यों में से एक बन सके।
चीन व भारत दोनों पुरातन रेशम मार्ग पर स्थित महत्वपूर्ण देश हैं। वे बड़ी जनसंख्या वाले नवोदित बाजार भी हैं, जो विश्व में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रहे हैं। इसलिये चीन व भारत उक्त आर्थिक क्षेत्रों के निर्माण में सहयोग के महत्वपूर्ण साझेदार हैं।
चंद्रिमा