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तिब्बत के चित्र कला अकादमी के उप प्रधान लाबा त्सेरिंग ने मीडिया को दिए इंटरव्यू में कहा कि प्रदर्शनी में तिब्बती कलाकारों की श्रेष्ठ रचनाएं व चित्रों को शामिल की गई है और उनमें तिब्बत के विभिन्न समुदायों की रचनाएं शामिल हैं और तिब्बत के वरिष्ठ और युवा कलाकारों ने सभी अपनी थांगका चित्रों को लेकर इस प्रदर्शनी में शामिल किया है ।
थांगका को तिब्बत में विशेष चित्र कला मानी जाती है । इसे तिब्बती संस्कृति का विश्वकोश और पारंपरिक संस्कृति व कला का मूल्यवान गैर-भौतिक विरासत कहा जाता है । सरकार ने थांगका, तिब्बती ओपेरा और गेसार महाकाव्य आदि पारंपरिक संस्कृति के संरक्षण में भारी निवेश लगाया है ।
( हूमिन )
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