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रोज़ पूजा करने आए श्रद्धालु
लोका प्रिफेक्चर के सांस्कृतिक अवशेष ब्यूरो के महानिदेशक च्यांगबा त्सरिंग ने कहा:"सरकार ने ट्रादूक मठ को केंद्र बनाकर कई बार ट्रादूक कस्बे का सुधार किया है। अब खुशहाल जीवन के मिसाल के रूप में इस गांव के पूरे संरचना और रूप का काफी हद तक निर्माण किया जा चुका है। "
च्यांगबा त्सरिंग ने बल देते हुए कहा कि ट्रादूक कस्बे का सुधार करने में तिब्बत की वास्तविक परिस्थितियों के अनुरूप होना तथा राष्ट्रीय महत्वपूर्ण अवशेष संरक्षण इकाई ट्रादूक मठ का समन्वय होना चाहिए। इसलिए आसपास के मकानों में तिब्बती विशेषता वाली सजावट की गई। साथ ही मकानों का बाहरी हिस्सा ज्यादा मजबूत और कमरे काफी बड़े व सुविधाजनक बनाए गये।
64 वर्षीय त्सरिंग रोचे रोजाना अपनी पोती को लेकर मठ में बुद्ध मूर्ति की पूजा करते हैं। स्थानीय निवासी के रूप में त्सरिंगरोच ने ट्रादूक कस्बा में सुधार किए जाने की प्रक्रिया में भाग लिया। अपने अनुभव बताते हुए उन्होंने कहा:"पहले ट्रादूक मठ में इतनी रौनक नहीं होती थी। सड़क भी नहीं थी। हर क्षेत्र में स्थिति अब की तुलना में बहुत ज्यादा अच्छी नहीं थी। अब रास्ता ही नहीं, बल्कि रिहायशी इलाकों के बीच सड़क और सड़क पर प्रकाश व्यवस्था उत्तम हो गई है।"
कनाडा से आई यात्री डायने लोका प्रिफेक्चर की सैर करने के दौरान दृश्यों को देखकर आश्चर्य हो उठी। उन्होंने कहा कि आने से पूर्व उन्हें यहां तीसरी दुनिया देशों के समान गंदा, अव्यवस्थित तथा खराब समझा था। परंतु आने के बाद उन्होंने यहां आवास व यातायात आदि स्थितियों का बढ़िया अनुभव किया। डायने का कहना है: " यहां के रास्ते बेहद बढ़िया हैं। डेढ़ साल पहले हमें किसी ने बताया कि यहां सड़क की स्थिति बहुत खराब है। पर अब तक जो सड़कें हमने देखी वो सब बढिया हैं।"
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