ट्रादूक मठ का दृश्य
मठ की सुरक्षा को मज़बूत किए जाने का साथ-साथ उसके आसपास का वातावरण भी बदल रहा है। वर्ष 2001 में कस्बे में मिनी बस के चलने से मठ के दर्शन करने आने वाले श्रृद्धालुओं को अधिक सुविधाएं मिलने लगी हैं। मिनी बस चलाने वाले ड्राइवर, तिब्बती बंधु दावा ने उस समय की स्थिति का परिचय देते हुए बताया:"उस समय 19 मिनी बसें चलती थीं, जो हर दिन कुल 7 बार चक्कर लगाती थीं। त्योहारों के दौरान पूरी बस लोगों से खचाखच भर जाती थी। यहां तक कि तिब्बती पंचांग के नये साल के दौरान बसें 7 से अधिक बार चक्कर लगाती थी।"
गत शताब्दी के अस्सी के दशक में ट्रादूक क्षेत्र मूल रूप से ट्रादूक मठ को केंद्र बनाकर एक छोटा-सा गांव था। इतने सालों में विकास होने के बाद अब ट्रादूक मठ तथा उसके आसपास का क्षेत्र ट्रादूक कस्बा बन गया है। जहां आबादी भी बढ़ गई है। आज ट्रादूक कस्बे में रास्ते साफ़-सुथरे और चौड़े हैं। पूरे कस्बे की परियोजना ट्रादूक मठ से घिरा है।
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