नाथुला दर्रे के बाज़ार में चीन और भारत ने सौदा किए जाने वाली वस्तुओं की नामसूची बनाई। भारत की ओर से टेक्सटाइल वस्तुएं, ऊनी कंबल, कृषि संबंधी उपकरण, शराब, सिगरेट, चाय, गेहूं, चावल, खाद्य तेल और स्थानीय जड़ी बूटी समेत 29 उत्पादों की बिक्री की जा सकती है। जबकि चीन की ओर से घोड़ा, बकरा, भेड़, याक, बकरे की खाल, ऊन और कच्चे रेशम जैसी वस्तुएं बेची जा सकती हैं।
तिब्बती बंधु निमा तुनचू तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की यातोंग कांउटी के निवासी हैं, जो नाथुला दर्रे के नज़दीक रहने वाले सीमावर्ती नागरिक है। हमारे संवाददाता की मुलाकात निमा तुनचू से हुई, तब वह सीमावर्ती व्यापारिक बाज़ार में भारत से लाए गए उत्पादों को स्वीकार करने में व्यस्त थे। सीमावर्ती व्यापार करते हुए 10 साल बीत चुके हैं। निमा तुनचू मुख्य तौर पर भारत से खाद्य पदार्थ, ऊनी कंबल और मेकअप की वस्तुओं को निर्यातित करके यातोंग कांउटी शहर में अपनी दुकान में बेचते हैं। नाथुला दर्रा सीमावर्ती व्यापारिक बाज़ार के फिर से खोले जाने के पूर्व निमा तुनचू और यातोंग कांउटी के दूसरे अधिक स्थानीय वासियों का जीवन जंगल में पेड़ों को काटकर लकड़ी की सामग्रियों को बेचने पर निर्भर रहता था। जीवन स्थिति थोड़ी मुश्किल थी। लेकिन सीमावर्ती व्यापार करने के बाद निमा तुनचू का घरेलू जीवन लगातार बढ़ रहा है। अब वो अपने जीवन के प्रति संतुष्ट हैं। तिब्बती सीमावर्ती व्यापारी निमा तुनचू का कहना है:
"पहले हमारा जीवन वनों में पेड़ काटकर लकड़ी की सामग्रियों को बेचने पर निर्भर रहता था। लेकिन आजकल पर्यावरण संरक्षण के कारण पेड़ों को काटना निषेध है। इस तरह वर्तमान में हम व्यापार करने लगे हैं। इससे हमारा आज का जीवन दिन प्रति दिन अच्छा हो रहा है।"
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