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प्राचीन शाही प्रासाद

चीनी राजधानी पेइचिंग के केन्द्र में एक भव्य और रहस्यमय प्राचीन राजमहल खड़ा है , वह विश्वविख्यात लाल निषिद्ध नगर यानी प्राचीन शाही प्रासाद है । पेइचिंग का यह प्राचीन शाही प्रासाद चीन के अब तक सुरक्षित प्राचीन राजमहनों में से सब से शानदार ही नहीं , बल्कि वर्तमान विश्व में सुरक्षित सब से बड़े पैमाने वाला अखंड काष्ठ वास्तु समूह भी है । वह वर्ष 1987 में विश्व विरासत सूची में शामिल किया गया ।

पेइचिंग का प्राचीन शाही प्रासाद वर्ष 1406 में यानी चीन के मिंग राजवंश के दूसरे सम्राट जु ती के आज्ञा पर निर्मित किया गया , इस के निर्माण में कुल 24 साल लगे । वर्ष 1911 में चीन के अंतिम सामंती राजवंश छिंग राजवंश की समाप्ति तक कुल 24 सम्राट इस में रह चुके थे और चीन पर शासन करते रहे ।

पेइचिंग का प्राचीन शाही प्रासाद विशाल पैमाने , शानदार स्थापत्य कला , सुन्दर शैली तथा वैभव्य सजावट के लिए विश्व में बेमिसाल है । प्राचीन शाही प्रासाद का कुल क्षेत्रफल 7लाख 20 हजार वर्गमीटर है , इस के दक्षिणि से उत्तर तक की लम्बाई लगभग 1000 मीटर है , जबकि पूर्व व पश्चिम के बीच चौड़ाई करीब आठ सौ मीटर । शाही प्रासाद की चारों ओर 10 मीटर से ज्यादा ऊंची दीवार खड़ी है और दीवार के बाहर 50 मीटर चौड़ी नदी चतुर्दिशा में राजमहल की रक्षा करती है । प्राचीन शाही प्रासाद कड़ाई के साथ सामंती राजवंश के नैतिक मान्यता व राजनीतिक पद्धती के अनुरूप बनाया गया था , उस की स्थापत्य शैली , रंग संयोजन , आकार आकृति तथा महलों की सजावट सभी सम्राट के अद्वितीय अधिकार और कड़ी वर्ग व्यवस्था को प्रतिबिंबित करते थे ।

प्राचीन शाही प्रासाद में तीन प्रमुख भवन सब से उल्लेखनीय हैं , उन के नाम है थाईहोत्यान महल, चुंगहोत्यान महल और बाओहोत्यान महल ।ये सम्राटों के शासन संचालन व महत्वपूर्ण शाही रस्म समारोहों के आयोजन के मुख्य स्थल थे । थाईहोत्यान महल प्राचीन शाही प्रासाद का केन्द्र है , सम्राट का सिंहासन अब भी इसी महल में रखा गया है , यह महल प्राचीन शाही प्रासाद के सभी भवनों में सब से शानदार और महान है । तीस हजार वर्गमीटर वाले चौक के सामने खड़ा थाईहोत्यान महल आठ मीटर ऊंचे सफेद संगमरमर के शिलाधार पर बड़ा आलीशान नजर आता है ।महल की लम्बाई 40 मीटर है , वह प्राचीन शाही प्रासाद का सब से ऊंचा महल भी है ।चीनी संस्कृति में ड्रैगन सम्राट का प्रतीक माना जाता था और सम्राट को ड्रैगन का अवतार कहा जाता था , इसलिए थाईहोत्यान महल बड़ी संख्या में रंगीन ड्रैगन के चित्रों और तराशी कामों से आलंकृत है , जिन की कुल संख्या 13 हजार है ।

प्राचीन शाही प्रासाद में मकानों का निर्माण भी विशेष ध्येय से किया गया था , देखने में मकान के आगे मकान खड़े हुए और महल मंडपों की श्रृंखली फैली नजर आते हैं , प्रासाद में मकानों की संख्या अनगिनत है , कहा जाता है कि यहां कुल 9999 .5 कमरे हैं । प्राचीन काल में चीनियों की मान्यता थी कि स्वर्ग लोक में स्वर्ग राजा के तहत दस हजार मकान थे , जग लोक के सम्राट स्वर्ग राजा के पुत्र थे , इसलिए सम्राट को स्वर्ग राजा के बराबर दस हजार मकानों वाले महल में नहीं रहना चाहिए , उसे अपने पर थोड़ा नियंत्रण रखना चाहिए , अंततः प्राचीन शाही प्रासाद के कमरों की संख्या आधा कमरा कम कर साढ़े 9999 बनायी गई । विशाल प्राचीन शाही प्रासाद के स्थापत्य समूह में केन्द्रित रूप से प्राचीन चीनी श्रमिकों की प्रतीभा प्रतिबिंबित हुई है । महल समूह की विशाल समूची संरचना से लेकर विभिन्न रुपाकारों के छतों और दीवारों के हर छोटे सजावट तक तमाम वस्तुएं अनोखी शैली में सुयोजित कर बनाई गई थीं । उदाहरण के लिए थाईहोत्यान महल के सफेद शिलाधार को लीजिए , विशाल सफेद रंग के शिलाधार के निर्माण से उस पर खड़ा थाईहोत्यान महल बहुत ऊंचा , महान और आलीशान लगता है , इस के अलावा विशाल शिलाधार आर्द्रता से भी बच सकता है , शिलाधार की चारों ओर जल निकासी व्यवस्था बनायी गई है , तीन मंजिला शिलाधार पर एक हजार से अधिक जलकल पानी की निकासी के लिए बनाए गए , जो ड्रैगन के एक पुत्र ली के मुख की आकृति में है , जब भारी वर्षा हो रही है , तो पानी का प्रवाह ऐसे जलकल के मुह से बाहर नीचे भूमि पर तेज गति से बहते हुए गिर जा रहा है , मानो ड्रैगन जल का फवारा छोड़ता हो और बेहद अद्भुत समां बन जाता है ।

प्राचीन शाही प्रासाद में अधिकतर मकान लकड़ी से बनाए गए है ,इसलिए यहां अग्नि पर नियंत्रण काफी महत्वपूर्ण है । प्राचीन चीनी वास्तुकारों ने इस समस्या पर बड़ा ध्यान दिया और दमकल की अच्छी व्यवस्था बनायी थी । प्रासाद में चार पंक्तिबद्ध ठोस मकान बनाए गए थे , जो बाहर से देखने में मकान तो लगता है , किन्तु अन्दर खाली नहीं , ठोस है और पत्थरों की भित्तियां निर्मित हुई है , जो सुयोजित रूप से बनाई गई आग्नि रोधक दीवार का काम आती थी । प्रासाद के विभिन्न प्रांगनों में कुल 308 बड़े बड़े कांस्य कुंड रखे गए , जिन में बारहों माह में वर्षा का पानी भरा रहता था , ताकि अग्नि के शमन में काम आए । सर्दियों के मौसम में कांस्य कुंड के नीचे आग जलायी जाने का प्रबंध होता था , जिस से कुंज का पानी ठंड से भी बर्फ नहीं जम सकता ।

पेइचिंग का प्राचीन शाही प्रासाद वर्तमान विश्व में सुरक्षित सब से बड़ा और संपूर्ण काष्ठ वास्तु निर्माण समूह है । एतिहासिक ग्रंथों के अनुसार इस राज महल के निर्माण में मिंग राजवंश ने कुल एक लाख मजदूरों और दस लाख गुलामों की शक्ति लगाई थी और निमार्ण के लिए सभी सामग्री देश की विभिन्न जगहों से लायी गई थी , यहां तक पेइचिंग से हजारों किलोमीटर दूर सीमांत प्रांत युननान से भी लकड़ी लायी गई । प्राचीन शाही प्रासाद में बेशुमार दुर्लभ और कीमती ऐतिहासिक अवशेष संगृहित हैं , आंकड़ों के अनुसार उन की मात्रा दस लाख से भी अधिक है , जो चीन के ऐतिहासिक अवशेषों की कुल संख्या का छठा भाग बनती है , जिन में बड़ी संख्या में अमोल राष्ट्रीय स्तर के दुर्लभ सांस्कृतिक अवशेष हैं । पिछली शताब्दी के अस्सी वाले दशक में चीन सरकार ने सौ से अधिक कमरों का भूमिगत गोदाम बनाया और शाही प्रासाद के अधिकांश ऐतिहाससिक अवशेषों को भूमिगत गोदाम में सुरक्षित रखे ।

महान और आलीशान प्राचीन शाही प्रासाद चीनी राष्ट्र की शानदार संस्कृति का प्रतीक है । चीनी और विदेशी स्थापत्य शास्त्रियों के विचार में इस का डिजाइन और निर्माण दोनों बेजोड़ है , वह चीन की लम्बी पुरानी सांस्कृतिक परम्परा का महान धरोहर है , जिस में पांच सौ साल पहले के चीनी कारगिरों और श्रमिकों की असाधारण बुद्धिमता और स्थापत्य कला की अतूल्य उपलब्धि व्यक्त होती है । प्राचीन शाही प्रासाद के निर्माण से ले कर अब तक 580 साल गुजर चुके है , उस के अधिकांश मकान पुराना पड़ गए , इधर के सालों में पर्यटकों की संख्या तेजी से बढ़ जाने के कारण हर साल कोई एक करोड़ लोग शाही प्रासाद देखने आते हैं , देश के इस अमोल राज महल का अच्छी तरह संरक्षण करने के लिए चीन सरकार ने पिछले साल से प्राचीन शाही प्रासाद का चौतरफा रूप से जीर्णोद्धार करने का काम आरंभ किया , योजना के अनुसार यह काम बीस सालों के भीतर पूरा होगा ।

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