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लुङमन गुफा
लुङमन गुफा मध्य चीन के हनान प्रांत के लोयांग शहर के दक्षिण में 12.5 किलोमीटर दूर लुङमन घाटी की दोनों ओर सीधी खड़ी चट्टानों पर अवस्थित है । यहां घाटी के दोनों किनारों पर दो पहाड़ खड़े हैं , जिस के बीच ईस्वी नदी बहती हुई गुजर रही है , दूर से देखने में वह एक बड़ा सा द्वार खुला जान पड़ता है , अतः यह स्थान ईस्वी द्वार के नाम से जो शुरू में मशहूर था , चीन के थांग राजवंश के बाद उस का नाम बदल कर लुङमन कहलाने लगा , चीनी भाषा में लुङ मन का अर्थ है ड्रैगन का द्वार । लुङमन देश के प्रमुख राज मार्ग पर है , यहां मौसम सुहावना होता है और प्राकृतिक दृश्य अत्यन्त सुन्दर है , प्राचीन काल से ही वह कलाकारों और साहित्यकारों का मनपसंद पर्यटन स्थल रहा । लुङमन में पहाड़ी चट्टानों का पत्थर गुणवत्ता में बढिया और कड़ा है ,जो प्रस्तर तराश के काबिला है ,यही पर प्राचीन काल में बौध धर्म की गुफा खोदी गई ।

लुङमन गुफा चीन के कांसू प्रांत के त्वुनहुंग की मकाओ गुफा और शानसी प्रांत के ताथङ की युन्कांग गुफा के साथ मिल कर चीन की त्रि प्रस्तर मुर्ति कला खजाना माना जाता है । लङमन गुफा की खुदाई उत्तरी वुई राजवंश के राजा श्योवुनती के शासन काल ( ईस्वी 386--512) में आरंभ हुई थी , लगातार चार सौ सालों के बाद गुफाओं का समूह रूप ले कर पूरा निर्माण समाप्त हो गया । यह गुफा समूह अब तक एक हजार पांच सौ साल पुराना हो गया है । लुङमन गुफा समूह उत्तर दक्षिण में एक किलोमीटर लम्बा है , जिस में अब एक हजार तीन सौ से अधिक गुफाएं सुरक्षित हैं , जिन में दो हजार तीन सौ 45 आले , तीन हजार छै सौ से ज्यादा शिलालेख , पचास से ज्यादा स्तूप , 98 हजार से अधित बुद्ध मुर्तियां उपलब्ध हैं । गुफा समूह में पिनयांगचुंग गुफा, फङश्यान मठ तथा कुयांग गुफा प्रतीक वाला गुफा है ।

पिनयांगचुंग गुफा उत्तरी वुई राज्यकाल ( 386--512) का प्रतिनीनिधित्व रखने वाली गुफा कृति है , इस की खुदाई में 24 साल का लम्बा समय लगा था , यह समय वहां की किसी अन्य गुफा के निर्माण समय से अधिक था , गुफा में 11 बड़ी बड़ी बुद्ध मुर्तियां खोदी गई , मुख्य प्रतीमा शाक्यमुनी का मुखड़ा सौम्य और सूक्ष्म है , जो अनन्त शांति की मुद्रा में है , यह मुर्ति उत्तरी वुई रज्यकाल के माध्यमिक काल की उत्कृष्ट मुर्ति कला कृति है । शाक्यमुनी प्रतीमा के शिलान्यास पर दो शक्तिवान पाषाण सिंह खुदे है , प्रतीमा के दोनों बगल में बुद्ध के दो शिष्य तथा दो बौधित्सव खड़े हैं , दोनों बौधित्सव मुस्कान की मुद्रा में बहुत शीलवान और स्नेही लगते हैं। इस गुफा में बड़ी संख्या में बौधित्सवों और बुद्ध शिष्यों द्वारा बुद्ध का उपदेश सुनने की उभरां तस्वीरें तराशी गई हैं , जो अत्यन्त जीता जागता होती है । गुफा की भीतरी छत पर उड़नपरी चित्र बहुत सजीव होता है ।

फङश्यान मठ लुङमन गुफा समूह की सब से बडी गुफा है , वह थांग राज्यकाल (ईस्वी 618--904) की प्रस्तर मुर्ति कला का प्रतिनिधित्व रखने वाली कृति है । यह गुफा लम्बाई और चौड़ाई में तीस तीस मीटर बड़ी है । फङश्यान मठ का मुर्ति समूह एक अमोल श्रेष्ठ कला कृति है , जिस में वैरोचन की मुर्ति चोटी की उत्कृष्ट कला कृति सिद्ध हुई है , वैरोचन की यह मुर्ति 17 मीटर ऊंची है , सुडौल , सुशील और बड़ी सजीव लगती है । उस के बुद्धिमान नेत्र थोड़े नीचे की ओर निहारते हैं , जो ऊपर की ओर ताकने वाले दर्शकों की नजर से जा मिलती है , इस से दर्शकों के दिल को प्रभावित कि जा सकता है और एक प्रकार की कलात्मक मोहक शक्ति पैदा होती है ।

कुयांग गुफा लुङमन गुफा समूह की एक ऐसी गुफा है , जिस का निर्माण सब से पहले शुरू किया गया था और जिस में सुरक्षित कला घरोहर सब से ज्यादा हैं । कुयांग गुफा भी उत्तरी वुई राज्य काल में खोदी गई थी , उस में बड़ी मात्रा में बुद्ध की मर्तियां उपलब्ध हैं , विभिन्न मुर्तियों के संदर्भ में आलेख भी मिल सकते हैं , जिन में मुर्ति निर्माताओं के नाम , निर्माण की तिथि और निर्माण का कारण उल्लिखित हैं । ये सामग्री उत्तरी वुई राजवंश की लिपि कला व मुर्ति कला पर अनुसंधान के लिए बहुत मूल्यवान है । चीन के लिपि कला इतिहास में मील पत्थर का महत्व रखने वाली लुङमन की 12 महान कृतियां इसी गुफा में सुरक्षित हैं । लुङमन की 12 लिपि कला कृतियां उत्तरी वुई राजवंश की शिलालेख कला विशेष का प्रतिनिधित्व करती हैं , इन लिपि कृतियों में अक्षर सुगठित , सुरूप, तेज शक्ति से अलंकृत है । ये लिपि कृतियां लुङमन गुफा समूह की शिलालेख कला की अतूल्य रचनाएं हैं , जो सदियों से लोकप्रिय और सर्वमान्य चली आती है।

लुङमन गुफा में बड़ी तादाद में धर्म , ललित कला , लिपि कला , संगीत , वस्त्र आभूषण , दवा औषधि , स्थापत्य तथा चीन व विदेशों के बीच यातायात मार्ग के बारे में संदर्भ सामग्री और ठोस चीजें सुरक्षित हैं , इसलिए उसे प्रस्तर मुर्ति कला का एक विशाल संग्रहालय भी कहा जा सकता है ।

लुङमन गुफा 30 नवम्बर 2000 को विश्व सांस्कृतिक विरासत चयन मापदंड के अनुसार विश्व विरासत सूची में शामिल की गई । विश्व विरासत कमेटी ने इस का इन शब्दों में मूल्यांकन किया कि लुङमन क्षेत्र की गुफाओं और बुद्ध मुर्तियों से चीन के उत्तरी वुई राजवंश के उत्तर काल से थांग राज्यकाल तक (ईस्वी 493--907) की सब से बड़े पैमाने वाली सर्वश्रेष्ठ मुर्ति कला दृष्टिगोचर होती है । बौध धर्म की कहानी बताने वाली ये कला कृतियां चीन की प्रस्तर मुर्ति कला की उच्चतम चोटी का प्रतिनिधित्व करती हैं ।

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