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चीन के लोककला में देव (3)

प्राचीन काल में नगर की सुरक्षा के लिए नगरों की चारों ओर दीवार रखे गए और दीवार के बाहर नहर खोदी गई। नहर के देव को" छंगह्वांग" कहता है। छंगह्वांग नहर के निवासियों की सुरक्षा का काम देखता है। ऐतिहासिक ग्रंथों के अनुसार सब प्रथम वर्ष 239 में पूर्वी चीन के उहू नगर में छंगह्वांग मंदिर का निर्माण कर चुका।

मिंग राजवंश ( 1368—1644) के प्रथम सम्राट चू य्वान-चांग ने छंगह्वांग को नवाबी दे कर छंगह्वाग की पूजा का विस्तार किया। छंगह्वांग भूत प्रेत समाज या पाताल का देव है। छंगह्वांग मंदिर में उस की मुर्ति के अतिरिक्त नौकर फानक्वान, ऐसे भूत जिन का चेहरा गाय व घोड़ा का है और श्वेत व काला उछांग भी पाए जाते हैं। आम तौर पर मंदिर में छंगह्वाग देव की दो मुर्तियां हैं, एक मुर्ति यज्ञ के लिए और दूसरी प्रदर्शन के लिए। वर्ष में छंगह्वाग का प्रदर्शन तीन बार है, वसंतकाल, ग्रीष्मकाल और शरतकाल में प्रदर्शन किया जाता था। प्रदर्शन बहुत भव्य रूप से किया जाता था। प्रदर्शन के साथ मेल माला या तरह तरह की गतिविधियां भी प्रचलित थी। चित्र में जो छंगह्वांग है, वह लकड़ी के बलाक से मुद्रित है। उन के दोनों ओर चार नौकर भी हैं।

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