पुराने काल में चीन में हान जाति के बच्चों के गले पर चिरंजीव ताला लगता था। ताला मंगलसूचक है। यह ताला चांदी से बना है। यह दो आंगों में विभाजित है। ऊपर चांदा का माला है और निचे जांदी का ताला या तख्ता। जबकि बच्चे का जन्म एक माह हो गया, तो परिजन इसे चिरंजीव ताला भेंट देते हैं। इस के बाद यह ताला बच्चे के गले पर शादी तक लगाया जाता है।
उस वक्त गरीबी के कारण बच्चों की मृत्यु दर बहुत बड़ी थी। बच्चों को स्वास्थ्य की कामना में लोग चिरंजीवी ताला भेंट देते थे। आम तौर पर ताले पर छीलीमसुंगत्सी या अमर जैसे मंगल चित्र लगाया याता था।
चित्र में जो चिरंजीवी ताला है, उस पर चार शब्द काटे गए, इस का अर्थ अमर, समृद्ध व संपन्न है। शब्दों के निचे ऑपेरा का एक दास्तान दर्शाया गया है। यह त्रिराज काल ( 220—280) की कहानी है। चित्र में ल्यू पेई, क्वान य्वी और चांग फेई तीनों के बीच भाईपन स्थापित करना दिखाई देती है। ताले पर शतरंज खेलना, अमरता, कल्याण व अमरता जैसे मंगलसूचक भी काटे गए।