प्राचीन चीन के श्वेई राजवंश (581—618) से चीनी शाल नजर आना शुरू हुआ। यह शाल कंधे पर पहना जाता है। छिंग राजवंश काल (1644—1911) में इस का प्रचार समाज में किया गया और विवाह समारोह में दुल्हा के लिए यह आवश्यक है। यह शाल कपड़ें या रेशम से बना है और 8 अंगों में विभाजित है। हर अंग पर रंगीन रेशमी धागा से मेघ, फुल, पक्षियां या ऑपेरा का दास्तान काढ़े गए। एक सूक्ष्म शाल बनाने के लिए बहुत काम किया जाना पडता था। सुई के प्रयोग में भी तकनीक काफी जटिल थी।
चित्र में जो शाल है, वह मध्य चीन के हनान प्रांत में बनाया गया। इस शाल पर ऑपेरा का दास्तान, फुल, पक्षियां, पुल काढ़े गए। इस को चित्र को रूई बादल कहता है। यह जीच बहुत दुर्लभ है।