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क्वो लान इंग

मशहूर गायिका क्वो लान इंग का जन्म वर्ष 1930 के दिसम्बर में शान शी प्रांत की फिंग याओ काऊंटी के एक गरीब परिवार में हुआ । छै वर्ष की उम्र में क्वो लान इंग शान शी के स्थानीय ऑपेरा सीखने लगी , सात वर्ष की आयु में क्वो लान इंग शान शी की राजधानी थाई य्वान स्थित काई ह्वा मंदिर के ऑपेरा केंद्र में पहली बार मंच पर खड़ी हुई। ग्यारह की उम्र में क्वो लान इंग थाई य्वान शहर में ओपेरा प्रस्तुत करने लगी । उन्होंने क्रमशः《ली सान न्यांग की मेहनत 》、《 आलूची फूल पुनः खिला 》आदि सौ से ज्यादा परम्परागत ऑपेराओं में अभिनय किया ।

वर्ष 1946 की शरत ऋतु में क्वो लान इंग ने ऑपेरा मंडली से विदा लेकर उत्तरी चीन संयुक्त कॉलेज की मंडली में भाग लिया और अपनी नया ऑपेरा कार्य शुरू किया ।

वर्ष 1947 में क्वो लान इंग ने उत्तरी चीन संयुक्त कॉलेज के ऑपेरा विभाग में हिस्सा लिया और कला शिक्षा लेने के साथ कला प्रदर्शन करती रही । वर्ष 1948 के अगस्त माह में क्वो लान इंग उत्तरी चीन विश्वविद्यालय के सांस्कृतिक दल में हिस्सा लिया । इसी दौरान उन्हों ने《 दादी मा वांग मेले में गई 》、《पति-पत्नि साक्षर हुए 》तथा《भाई-बहन खेतीबाड़ी में श्रेष्ठ 》आदि ऑपेरा नाटक प्रस्तुत किये, जिसे दर्शकों का हार्दिक स्वागत प्राप्त हुआ । वर्ष 1949 के अप्रेल माह में क्वो लान इंग चीनी युवा प्रतिनिधि मंडल के साथ हेंगरी में आयोजित दूसरे विश्व युवा छात्र शांति व मैत्री समारोह में भाग लिया और उनके द्वारा गाया गाय《महिला की स्वतंत्रता का गीत》समारोह में पुरस्कार हासिल किया गया ।

वर्ष 1949 में नए चीन की स्थापना के बाद क्वो लान इंग क्रमशः चीनी केंद्रीय ऑपेरा कॉलेज के अधीनस्थ ऑपेरा नाटक मंडली, चीनी गान-नृत्य मंडली में मुख्य अभिनेत्री बनी । क्वो लान इंग द्वारा प्रस्तुत《सफेद बाल वाली लड़की》、《ल्यु हू लान》、《वसंत में आसमानी बिजली का गर्जन》、《लाल बादल》、《श्याओ अर्हे की शादी》तथा《तो अ की दुखांत कहानी》आदि नये ऑपेराओं में सिलसिलेवार कलात्मक प्रतिमाएं दिखायी गयीं । क्वो लान इंग चीनी नए ऑपेरा के प्रतिनिधि संगीतकार बन गयी । चीनी कलाकारों की ओर से क्वो लान इंग ने पूर्व सोवियत संघ, रोमानिया, पोलैंड, चेकस्लोविकिया, इटली और जापान आदि 20 से ज्यादा देशों की यात्रा की और चीनी व विदेशी सांस्कृतिक आदान प्रदान के लिए भारी योगदान किया ।

वर्ष 1982 में क्वो लान इंग ने कला मंच से विदा लेकर चीनी संगीत कॉलेज में एक अध्यापिका बन गयी । वर्ष 1986 में उन्होंने दक्षिण चीन के क्वांग तुंग प्रांत में क्वो लान इंग कला स्कूल की स्थापना की और इस स्कूल के कुलपति बन गयी । वर्ष 1989 में क्वो लान इंग को प्रथम स्वर्ण डिस्क पुरस्कार का स्वर्ण पदक हासिल हुआ ।

क्वो लान इंग की आवाज़ बहुत सुलीरी है, शुद्ध और विशाल भी है , उन के गायन में चीनी जातीय विशेषता निहित है। अपनी युवावस्था में ऑपेरा अभिनय के कड़ी ट्रेनिंग से क्वो लान इंग के गायन में अपनी विशेष पहचान बनायी गयी। कला प्रदर्शन के दौरान वे गायन व अभिनय को मिला कर गाती थी, जिस ने चीनी नए ऑपेरा की व्यवस्था के निर्माण में रचनात्मक योगदान किया । क्वो लान इंग के लोकप्रिय गीतों में《महिला की स्वतंत्रता का गीत》、《 दादी मा वांग शांति चाहती 》、《मुक्ति का गीत 》、《नान नी वान》तथा फिल्म《शांग कान लिंग पर्वत का युद्ध 》का मुख्य गीत 《मेरी मातृभूमि》और ऑपेरा नटक《ल्यु हू लान》का गीत《 नदी और पहाड़ी 》आदि शामिल हैं ।

[क्वो लान इंग की आवाज में गीत]: 《मेरी मातृभूमि》

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