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छाया नाट्य (1)

छाया नाट्य चीन में एक प्रकार का लोककला है। उत्तर पश्चिमी चीन के कांसू प्रांत के पूर्वी भाग के फिंगल्यांग और शेनशी व निंगश्या से जुड़े फिंगल्यांग व छिंगयांग में प्रचलित है।

मिंग व छिंग राजवंश काल में या 14वीं से 19वीं शदाब्दी के बीच लूंगतुंग में छाया नाट्य पहुत लोकप्रिय था। इस की आकृत्ति सुन्दर है और सूक्ष्म भी।

यहां छाया नाट्य का सामान छोटे गाय के काला चमड़े से बना है।

यह चमड़ा बेहद मजबूद है। छाया नाट्य बनाने में सब से पहले चमड़े पर चित्र खींचता है, फिर चाकू से काटा गया और फिर उस पर रंग लगाया गया। अंत में उस पर लोहा किया गया। लोहा करने के बाद ही मंच पर छाया नाट्य खिला सकता है।

चित्र में छाया नाट्य के जो दो पितली है, उन में से एक स्वर्ग का सम्राट है और दूसरा ताओमत का संस्थापक थाईशांगलाओच्वीन है।

ये बहुत सूक्ष्म है, इन पर लाल, पीला, काला और हरी रंग लगाये गए। संवर्ग सम्राट की आंखें लम्बी हैं, मुख छोटा है, नाक ऊंचा व खड़ा है, थाईशांगलाओच्वीन की आंखें चक्करदार है, नाक नाटा है और माथा ऊंचा है।

छाया नाट्य में अभिनय बहुत लोकप्रिय है। छाया के अंग चला सकते हैं और गीत संगीत सुंदर है, इस की स्थानीय विशेषता से आम लोग बहुत पसंद करते हैं।

लुंगतुंग के छाया नाट्य की नाटक बहुत ज्यादा है। इस चित्र में स्वेई व थांग राजवंश की कहानी का दास्तान दर्शाया गया है। इस नाटक में ल्वो थुंग एक सेनापति थे। छाया पर रंग व रेखाएं बहुत सुंदर है और खेल भी कुशल है।

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