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मैचिशान गुफा और लुंगमन गुफा
मैचिशान गुफा उत्तर पश्चिमी चीन के कांसू प्रांत के थ्येनश्वी शहर के दक्षिण पूर्व में 45 किलोमीटर दूर खड़े पहाड़ों में स्थित है , जो 150 मीटर ऊंची है । एतिहासिक ग्रंथों के अनुसार मैचिशान गुफा की खुदाई चीन के उत्तरवर्ती छिन राजकाल ( ईस्वी तीसरी शताब्दी ) में शुरू हुई थी , गुफाएं 30 से 70 मीटर ऊंची सीधी पहाड़ी चट्टानों पर खोदी गई थी ।

   मैचिशान गुफा समूह में गुफाएं चट्टानों पर ऊपर नीचे की बहु मंजिलों पर खुदी हुई हैं , जो देखने में बड़ी शानदार नगर आती हैं । गुफाओं में चीन के उत्तरी वी , पश्चिमी वी , उत्तरी चो , स्वी , थांग , पंच राज्यकाल , सुंग ,युन , मिंग तथा छिंग राजवंशों की 194 मिट्टी की बुद्ध मुर्तियां , 7000 से अधिक पाषण मुर्तियां और 1300 वर्ग मीटर के भित्ति चित्र सुरक्षित हैं । गुफाओं में हजारों आदमकद प्रतीमाएं मिलती हैं , जो अत्यन्त सजीव दिखती हैं । बुद्ध प्रतीमा गंभीर मुद्रा में है , बौधित्सव बुद्ध के बगल में शांत मुद्रा में खड़े हैं , भिक्षुओं की मुर्तियों में कोई आंखें मूद कर धार्मिक सूत्र जपाता हो , कोई एक दूसरे से कानफूसी करता हो , कोई मुस्कराते हुए दिखता हो और कोई दूसरे से अभिवादन करने की मुद्रा में । गुफाओं में भक्त युवाओं और मासूम बच्चों की मुर्तियां भी मिलती हैं । बुद्ध मुर्तियां 16 मीटर ऊंची होने से ले कर दस सेंटीमीटर नीची लम्बाई में उपलब्ध होती हैं । सभी मुर्तियां बारीकी और सूक्ष्म रेखाओं में जीता जागता बनायी गई हैं । बहुत से बुद्ध मुर्तियों को मनुष्य का स्वभाव दिया गया है , जो जन जीवन से प्रभावित बहुत स्नेहपूर्ण लगती है । ये कलाकृतियां चीन के बौद्ध धर्म के इतिहास , चीन के इतिहास , पुरातत्व शास्त्र तथा लोक रीति रिवाज के अध्ययन के लिए अत्यन्त महत्वपूर्ण हैं । मैचिशान गुफा घनी पहाड़ी वन्यों में स्थित होने के कारण वह विभिन्न राजवंश कालों के युद्ध , तोड़फोड़ और चोरी से बच गयी और अच्छी तरह सुरक्षित रही है ।

लुंगमन गुफा चीन के हनान प्रांत के लोयांग शहर के दक्षिण में 13 किलोमीटर दूर इह नदी के दोनों किनारों पर स्थित है । इह नदी घाटी का प्राकृतिक सौंदर्य बड़ा आकर्षक है , यहां बड़ी संख्या में मठ मंदिर निर्मित हुए हैं । प्राचीन काल से यह मशहूर दर्शनीय स्थल रहा । लुंगमन गुफा समूह का निर्माण उत्तरी वी राज्य के सम्राट श्योवनती द्वारा राजधानी को लोयांग में स्थानांतरित की जाने के बाद (ईस्वी 494 ) आरंभ हुआ था , इस के उपरांत लगातार चार सौ सालों में बड़े पैमाने पर गुफाओं की खुदाई की गई । लुंगमन के पहाड़ों की चट्टानों पर गुफाएं मधुमक्खी की छत्ता की भांति घनी रूप से फैली दिखाई देती हैं , गुफाओं की कुल संख्या 2300 से भी ज्यादा है , जिन में एक लाख मुर्तियां , 3600 आलेख स्तंभ तथा 40 पगोडा मिलते हैं । गुफाओं की भित्ति पर अप्सरियों और उड़न परियों के सुन्दर चित्र है , कोई मेघों में इत्मीननान से उड़ान भर रही है , कोई हाथों में फल लिए हवा में उड़ रही है , कोई मुक्त कंठ से गाने की मुद्रा में है , कोई वाद्य बजाती है और कोई फुलों की वर्षा बरसा रही है । ये अप्सरी बड़ी छरहरी , सुशील और मनमोहक है ।

  प्राचीन चीनी शिल्पकारों द्वारा बनायी गई ये रंगबिरंगी मुर्ति कला कृतियां चीन के प्राचीन इतिहास और कला के अध्ययन के लिए सुरक्षित अहम सामग्री है । लुंगमन गुफा समूह की कुयांग गुफा ईस्वी 494 के समय खोदी गई है , वह गुफा समूह में सब से पुरानी गुफा है , जिस में प्रचूर मात्रा में मुर्तियां सुरक्षित हैं । गुफा में मुर्तियां सुक्ष्म और सजीव है , तस्वीरें विविध और रंगबिरंगी हैं । मानव की प्रतीमाएं भक्ति की मुद्रा में है । वे उत्तरी वी राज्य की गुफा कला के अध्ययन के लिए मूल्यवान सामग्री है । गुफा में उपलब्ध गुफा निर्माण संबंधी आलेख लिपिकला की अनुपम कृति है । एक दूसरी गुफा पिनयांग गुफा वर्ष 500 में खोदी गई थी और इस का निर्माण काम वर्ष 523 में पूरा हुआ था ,कुल 24 साल का समय लगा । गुफा में मुख्य मुर्ति शाक्यामुनि और उन के चेलों और बौधित्सवों का मुखड़ा पतला हलका होता है , वस्त्रों की तहें सुव्यवस्थित और बारीकी है ,जिस से उत्तरी वी राज्यकाल की कला विशेषता अभिव्यक्त हुई है ।

 

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