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घोड़े से दबी अबाबील

घोड़े से दबी अबाबील प्रतीमा का दूसरा नाम है वेग दौड़ा कांस्य घोड़ा । वह कांस्य मुर्ति है , जो 34.5 सेंटीमीटर ऊंची , 45 सेंटीमीटर लम्बी तथा 10 सेंटीमीटर चौड़ी है । यह कांस्य मुर्ति चीन के पूर्वी हान राजवंश काल की कलाकृति है ,जो कांसू प्रांत के वुवी जिले में स्थित लेथाई मकबरे की खुदाई से प्राप्त हुई है और अब कांसू प्रांत के संग्रहालय में सुरक्षित है ।

घोड़ा प्राचीन काल में युद्ध , परिवहन और दूर संचार का बेहतर साधन था । चीन के पूर्वी हान राजवंश की शक्तिशाली अश्व सेना ने हूण के आक्रमण को विफल करने में असाधारण योगदान किया था और वह राजवंश के उत्तरी भाग की सुरक्षा व शांति की रक्षा के लिए अहम शक्ति भी थी , इसलिए हान राजवंश के लोग घोड़ों को अन्य किसी भी राजवंशों से अधिक पसंद करते थे और उसे राष्ट्र का गर्व समझते थे । ऐसी हालत में हान राजवंश के काल में बड़ी मात्रा में घोड़ों की कलाकृतियां बनायी गई थीं , जिन में से घोड़े से दबी अबाबील सब से मशहूर है ।

इस विश्वविख्यात मुर्ति कलाकृति में एक बलिष्ट घोड़ा वेग दौड़ने की मुद्रा में दिखाई देता है , उस का सिर ऊंचा उठा कर थोड़ा सा बाईं तरफ मुड़ा है , घोड़े का पूच्छ भी उठ खड़ा नजर आया , उस के तीन पांव हवा में उड़े जैसे हैं और पीछे का दाहिना पांव एक पंख फैलाए उड़ रही अबाबील पर दबा हुआ है । पुष्ठ बलिष्ठ शरीर वाला घोड़ा बड़ा शक्तिशाली लगता है और उस की गति इतना वेग और हल्का है कि देखने में ऐसा नहीं लगता है कि उस का पूरा शारीरिक भार एक पांव के जरिए एक छोटी अबाबील पर पड़ा है ।

घोड़े से दबी अबाबील हान राजवंश के शिल्प कलाकारों की बुद्धि और असाधारण कल्पना शक्ति , रोमांटिक भावना तथा उत्तम कला का सुफल है तथा चीन की प्राचीन मुर्ति कला की अनमोल कृति है ।

 

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