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(तस्वीरः चीन के शानसी प्रांत के फिंगयो जिले के स्वांगलिन मठ में सुरक्षित मिंग राजवंश की मुर्ति कलाकृतिः सहस्त्र हस्त अवलोकनदेश्वर )
स्वांगलिन मठ में अब भी बड़ी मात्रा में मिंग राजवंश काल की रंगीन मुर्ति कलाकृतियां सुरक्षित हैं , जिन का कला स्तर अनुतम और सूक्ष्म है । अनुमान के अनुसार स्वांगलिन मठ का निर्माण सब से पहले चीन के उत्तरी वी राजवंश के आरंभिक काल में किया गया था , लेकिन कालांतर में वह कई बार नष्ट हुआ और पुनःनिर्मित हो गया । मौजूदा मठ की चारों ओर दीवारी बनी रही है , जो दुर्ग के रूपाकार में नजर आया है । मठ में मुख्य भवनों में दिगश्वर भवन , शाक्यामुनि भवन , महावीर भवन , बौद्ध अवलोक भवन तथा मठ के पश्चिमी भाग में अर्हर भवन , स्कंद भवन , क्षितिगर्भ भवन , भू देवता भवन , सहस्त्र बुद्ध भवन तथा बौधित्सव भवन आदि शामिल हैं । सभी भवनों में रंगीन मुर्तियां मिलती हैं , जिन की कुल संख्या दो हजार से अधिक है, जिन में से 1556 अच्छी तरह सुरक्षित हैं । दिगश्वर भवन में वज्रधर और बौधित्सव प्रतीमाएं हैं , शाक्यामुनि भवन में 48 सेटों की रंगीन मुर्तियां सुरक्षित हैं , जो भगवान गोतम की जातक कथा पर आधारित हैं । अर्हर भवन में 18 अर्हरों की मुद्रा विविध और सजीव लगती है , जो रंगीन मुर्ति कला की अनुतम अनमोल कृति हैं । सहस्त्र बुद्ध भवन में अवलोकनदेश्वर , स्कंद प्रतीमा और यक्ष की मुर्तियां मिलती हैं । क्षितिगर्भ भवन में क्षितिगर्भ, दस यमराज और छै विभागों के दंड निर्णयक देवता , बौधित्सव भवन में सहस्त्र हस्त अवलोकनदेश्वर और अन्य चार सौ बौधित्सव मुर्तियां हैं । रंगीन मुर्तियों में वज्रधर , अर्हर , अवलोकनदेश्वर तथा भक्तों की मुर्तियां सब से सुन्दर और अनोखी हैं ।रंगीन मुर्तियों की संख्या और गुणवत्ता की दृष्टि से स्वांगलिन मठ चीन के रंगीन मुर्ति कला का बेजोड़ खजाना माना जा सकता है ।
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