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ढोलक वाचक मुर्ति

ढोलक और वाचक मुर्ति भूरे रंग की मिट्टी से बनी हुई है , जो 55 सेंटीमीटर ऊंची है । यह मुर्ति चीन के पूर्वी हान राजवंश के काल में निर्मित हुई थी , जो आज के सछवान प्रांत के छङतु शरह के थ्येनह्वी पर्वत की चट्टान पर बनी समाधि से प्राप्त हुई है और अब वह चीनी इतिसार संग्रहालय में सुरक्षित है ।

सछवान प्रांत में ऐतिहासिक अवशेषों की खुदाई में बड़ी संख्या में मानव मुर्तियां उपलब्ध हुई हैं , जिन में यह ढोलक व वाचक मुर्ति सब से मशहूर है । वाचक मुर्ति फर्श पर बैठा है , उस का सिर बड़ा है , जिस पर पगड़ी पहनी है , माथे पर झुर्रियां पड़ी है , नंगा पांव और बांह है , उस के बाईं बांह में एक गोलाकार ढोल है और दाईं हाथ ऊपर उठा हुआ नजर आता है , जो ढोल बजाने की मुद्रा में है । वाचक का अभिनय भंगामे से लगता है कि कथा का वाचन अब अहम दौर में दाखिल हुआ है , वह बड़ा गर्व करता हुआ दिखाई देता है , उस का भाव उत्तेजित और उल्लासित नजर आया है , वह इतना भावोद्वलित हुआ है कि उस का हाथ पांव नाचने लगे । हां , दर्शक यह नहीं जान सकता है कि उस की कथा किस विषय पर है , पर उस के भंगामे से जाहिर है कि वह उत्साहपूर्ण , खुशमिजाज , ओजस्वी और विनोदी कलाकार है । दर्शक अनुमान लगा सकता है कि इस वाचक के सामने जरूर उस का शानदार अभिनय देखने सुनने वाली भर भीड़ लगी हो ।

 

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