|
उकड़ूं बैठे तीरंदाज की अधिकांश मुर्तियां चीन के प्रथम सामंती सम्राट छिनशहुंग के मकबरे के नम्बर दो स्थल की खुदाई से उपलब्ध हुई हैं , हरेक मुर्ति 120 सेंटीमीटर ऊंची है । छिनशहुंग का मकबरा उत्तर पश्चिमी चीन के श्येनसी प्रांत के लिनथुंग के पास है । मकबरे का नम्बर दो स्थल एक ऐसा स्थान है , जहां सिपाही मुर्तियों के रूप में बहु सैन्य अंगों का मोर्चा रचा गया है , सैन्य मोर्चा अन्दर और बाहर दो प्रकार के बने है , उकड़ूं बैठे तीरंदाज सिपाही अन्दर के मोर्चे में तैनात हैं।
उकड़ूं तीरंदाज मुर्ति का ऊपरी अंग सीधा खड़ा हुआ है , निचले अंग में दाहिना घुटना , दाहिना पांव तथा बाईं पांव जमीन पर टिके हैं , जिस से समान लम्बाई वाले त्रिकोण बनाया गया है और इस प्रकार के आसन में तीरंदाज स्थिर और मजबूत उकडूं खड़ा दिखता है । सिपाही के शरीर पर पहने कवच के टुकड़े शरीर के मोड़ लेने के साथ लहरदार रहे है और वस्त्र के रेखाएं आसन के बदलाव से मुड़ जाती दिखाई देती है । इस प्रकार की मुद्रा में मानव आकृति बड़ी सजीव लगती है और मुर्ति भी जीता जागता सी दिखती है । इन उकडूं बैठे तीरंदाज मुर्तियों का भंगमा और मुद्रा अलग अलग होती हैं , जिस से उन का अपना अपना अलग स्वभाव अभिव्यक्त हुआ है । उकड़ूं बैठे तीरंदाज मुर्ति छिनशहुंग मकबरे के सिपाही मुर्ति व्यूह का अनुपम कलाकृति है और चीन की प्राचीन मुर्ति कला की असाधारण खजाना है ।
|