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तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की राजधानी ल्हासा के उत्तर पश्चिम भाग में खड़े लाल पहाड़ पर स्थित पोताला महल विश्व का समुद्रीय सतह से सब से ऊंचे स्थान पर निर्मित विशाल राज महल है ।उस का निर्माण सातवीं सदी में हुआ ।पोताला महल की 13 मंजिलें हैं ,जिस का क्षेत्रफल 41 हैक्टर है । पोताला महल ग्रेनाइट पत्थर से निर्मित था ।इस महल में एक हजार से अधिक कमरे व भवन हैं ।पहले दलाई लामा से 13वें दलाई लामा तक के सब पार्थिव शरीर पोताला महल में समाधिस्थ हुए हैं । उन के के लिए स्तूप बनाए गए है । हर स्तूप पर सोने के पन्ने जड़ित हैं व अत्यंत मूल्यवान रत्नों से सजा है ।पांचवें दलाई लामा का स्तूप इन में से सब से बड़ा है ,जो 14.85 मीटर ऊंचा है ।इस के सजावट के लिए कुल 1 लाख 19 हजार ल्यांग (एक किलो बीस ल्यांग के बराबर) सोने और 4000 मोतियों का प्रयोग हुआ । दलाई लामा पोताला महल में रहते थे ,धार्मिक गतिविधि चलाते थे और प्रशासनिक काम करते थे ।उन का शयन महल पोताला महल की सब से ऊंची मंजिल पर स्थित है ,जहां बहुत रोशनीदार है ।सो इसे रोशनी भवन कहा जाता है ।
वर्ष1961 में पोताला महल चीनी केंद्रीय सरकार से राष्ट्रीय दर्जा वाले एतिहासित अवशेषों की सूची में शामिल किया गया और हर साल इस की मरम्मत के लिए केन्द्रीय सरकार विशेष धन राशि का अनुदान करती है । वर्ष1984 से वर्ष1994 तक केंद्रीय सरकार ने इस के पूर्ण जीर्णोद्धार के लिए 5 करोड 30 लाख य्वान की पूंजी लगायी ,जिस से पोताला महल और अधिक आलीशान और भव्य बन गया ।
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