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कजाख जाति

सिन्चांग में 12 लाख कजाख लोग रहते हैं , वे मुख्यतः उत्तरी भाग में स्थित ईली कजाख स्वायत्त प्रिफेक्चर में बसे हैं । कजाख जाति की अपनी भाषा और लिपि होती है ।

कजाख जाति के अधिकांश लोग पशुपालन का काम करते हैं , कृषि में जुटे चंद कुछ लोगों को छोड़ कर वे अधिकतर घूमातु जीवन बिताते हैं और अच्छे जलवायु वाले घास मैदानों में मवेशी चराते हैं ।

कजाख लोग लोकाचार में उत्साहपूर्ण और मेहमाननवाब हैं और अपने सब से अच्छे खाना से मेहमानों को खिलाते हैं । मेहमानों के सत्कार में वे बकरी का वध भी करते हैं । भोजन के समय सब से पहले घर आए मेहमानों को पका पकाए बकरी सिर के गोश्त परोसा जाता है । मेहमान पहले बकरी सिर पर दाईं गाल का एक मांस टुकड़ा काट कर खुद खाते हैं , इस के बाद बकरी का कान काट कर मेजबान घर के छोटी उम्र वाले सदस्य को भेंट करते हैं , फिर बकरी का सिर वापस घर के मालिक को देते हैं ।

कजाख पुरूष और महिलाएं दोनों घुड़सवारी में माहिर हैं , पुरूष वर्ग कुश्ती व बकरी छीनने के खेल को पसंद करते हैं और हर त्यौहार व मंगल शुभ वक्त पर कजाख लोग घुड़सवारी कला का प्रदर्शन करते हैं और प्रतियोगिताएं करते हैं । कजाख जाति में घोड़ों पर सवार युवतियों द्वारा युवाओं का पीछा करने का खेल बहुत लोकप्रिय है । यह युवा पीढ़ी का मनपसंध खेल भी है और उन के लिए अपने प्रेमी प्रेमिका की तलाश करने का सुअवसर भी है ।

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