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जीवजंतु विविधता की स्थिति

जानवरों व वनस्पतियों की किस्में

चीन पृथ्वी पर ऐसे देशों में एक है , जहां प्रचूर मात्रा में विविध जीवजंतु व वनस्पतियां उपलब्ध होती हैं । चीन में उच्च श्रेणी की वनस्पतियां कोई तीस हजार किस्मों में पायी जाती हैं , रीढ़दार जानवरों की नस्लें 6 हजार तीन 3 सौ 47 होती हैं ,जो अलग अलग तौर पर दुनिया की जीवजंतु नस्लों व वनस्पति किस्मों की कुल संख्या का 10 और 14 प्रतिशत बनती हैं। चीन में थलीय पारिस्थितिकी तंत्रों की किस्में 599 तक ज्यादा हैं । चीन में जंगली जीवजंतु किस्मों और पारिस्थितिकी तंत्रों की संख्या समृद्ध पायी जाती ही नहीं है , साथ ही खेतीयुक्त वनस्पतियों तथा पालतू पशुओं एवं जंगली नस्ल से निकटस्थ जानवरों की किस्में भी बेशुमार होती हैं । चीन में अत्यन्त समृद्ध पशु संसाधन मिलता है ,यदि चीन को विश्व के पशु वनस्पति संसाधनों का प्राकृतिक जीन बैंक की संज्ञा दी जाए , तो वह अतिशयोक्ति नहीं है । ( चित्रः अमोल दुर्लभ जंगली जानवर --पांडा )

खात्मासन्न जानवर

वन संसाधनों की कमी तथा जंगली जानवरों के जीवन स्थलों के नष्ट होने के कारण चीन में बहुत सी नस्लों के मूल्यवान दुर्लभ जानवर खात्मासन्न स्थिति में पड़ गए । प्रारंभिक आंकड़ों के अनुसार चीन में खात्मासन्न स्थिति में पड़े पशुओं और वनस्पतियों की किस्में देश के इन की कुल किस्मों के 15 व 20 प्रतिशत हो गई हैं । वर्तमान में चीन में करीब दो सौ विशेष किस्मों के जीव जंतु लुप्त हो चुके हैं , तीन सौ नस्लों के थलीय रीढदार जानवर तथा 13 किस्मों के 410 प्रजातियों की जंगली वनस्पतियां खात्मासन्न स्थिति में हैं । चीन के हाईनान द्वीप में काले सिर बालों तथा लम्बी बांहों वाले वनमानुष और काला भालु की संख्या काफी घट गई है , वहां दुर्लभ वनस्पति जैसे पराशोरी कथायेन्सिस और अम्बर ( dryobalanops aromatica) तो खत्म होने की स्थिति में पड़े हैं । हाथी और मयूर जैसे जंगली जीव जंतु बहुत अल्प संख्या में पड़े और डाविडस हिरण , जंगली घोड़ा तथा सिन्च्यांग बाघ जैसे बीस किस्मों के दुर्लभ जानवर नष्ट हो गए या होने वाला है ।

बाहर से आए जीव जंतु का अतिक्रमण

बाहर से आए जीवजंतु के अतिक्रमण का अर्थ उन पशु वनस्पति की ओर है , जो देश के मूल जीव जंतु नहीं है और नई पारिस्थिति तंत्र के तहत स्थान पाने के बाद संख्या में तेजी से बढ़ता है और चारों ओर विस्तृत फैलने से स्थानीय पर्यावरण , मानव स्वास्थ्य तथा आर्थिक विकास के लिए भारी खतरा लाता है , और इस तरह एक गंभीर पारिस्थितिकी समस्या नए रूप में सामने आई है । 20 वीं शताब्दी के अस्सी वाले दशक से विदेशों के साथ चीन के आर्थिक आदान प्रदान तथा लोगों की आवाजाही तेजी से बढ़ता गया , इस के साथ बाहरी जीव जंतु भी चीन में लाये गए और बाहर से आए जीव जंतु के अतिक्रमण की समस्या बन गई । अब तक चीन के करीब सभी प्रांतों , स्वायत्त प्रदेशों तथा केन्द्र शासित शहरों में अतिक्रमण के बाहरी जीवजंतुओं का पता चला है । ऐसे जीवजंतुओं के अतिक्रमण से देश की जीव विविधता तथा पारिस्थितिकी को गंभीर नुकसान पहुंचा है , खास कर समुद्र सतह से कम ऊंचे क्षेत्रों तथा उष्ण कटिबंद द्वीपों के पारिस्थितिकी तंत्र पर इस का गंभीर असर पड़ा है । वर्ष 2003 के जनवरी में चीनी राष्ट्रीय पर्यावरण संरक्षण ब्यूरो तथा चीनी विज्ञान अकादमी ने जांच पड़ताल के आधार पर 16 किस्मों के बाहर से घुसे जीव जंतु व वनस्पतियों को प्रथम खपे के रूप में काली नामसूची में शामिल घोषित किया, जिस में बैंगनी डंठल वाला बोनेसट, रागवीड , डामेल ,वाटर ह्योइंठ , विषाक्त गैहूं ,नकली बाजरा ,गन्न पतंग , अमरीका का सफेद पतंग ,बड़ा वर्मिन , अफ्रीका का महा घोंघा , फुसो नामक सीप और बुल्ल मेंढक आदि शामिल हैं ।

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