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चो राज्य को बचाने के लिए वी राज्य पर हमला
सुन पीन चीन के युद्धरत राज्य काल का एक प्रसिद्ध सैन्य विशेषज्ञ था , उस ने अपने सहपाठी फांगच्वांग के साथ एक गुरू से युद्ध कला सीखी । युद्ध कला पर अधिकार करने के बाद दोनों वी राज्य की सेवा में काम करने लगे । लेकिन फांगच्वांग सुनपीन की प्रतिभा से असीम ईर्ष्या रखता था और बारंबार उसे मुसिबतों में डालने की साजिश रची , जिस के कारण सुनपी घुटनों में अपाहिज हो गया । बाद में छी राज्य के सेनापति थ्येनची की मदद से सुन पीन वी राज्य से भाग कर छी राज्य में जा बसा । सुन पीन और फांगच्वांग के बीच जो मशहूर युद्ध हुआ , वह चो राज्य को बचाने के लिए वी राज्य पर हमला के नाम से बहुत विख्यात है।

ईसापूर्व चौथी शताब्दी के समय चीन युद्धरत राज्य काल से गुजर रहा था । विभिन्न राज्यों में से वी राज्य ने सब से पहले राजनीतिक और सामरिक सुधार चलाया , जिस के परिणामस्वरूप उस की शक्ति लगातार बढ़ती गई और उस ने आसपास के छोटे छोटे राज्यों का अपनी सीमा में विलय करने का अभियान चलाया । उस समय वी राज्य की समान शक्ति रखने वाले राज्यों में उस के पूर्व का छी राज्य और पश्चिम का छिन राज्य था , उस के पड़ोसी चो राज्य और व्ये राज्य छोटा कमजोर राज्य थे ।

ईसापूर्व 368 में छी राज्य के समर्थन में चो राज्य ने वी राज्य के मातहत व्ये राज्य पर हमला बोला , इस मौके से फायदा उठा कर वी राज्य की सेना ने फांगच्वांग के कमान में चो राज्य की राजधानी हानतान को घेर लिया , अपने को बचाने के लिए चो राज्य ने छी राज्य से सहायता मांगी ।

छी राज्य के मंत्री चाओजी ने चो राज्य को बचाने के विरोध में यह तर्क दिया कि इस से छी राज्य की शक्ति घटायी जा सकती है । लेकिन दूसरे मंत्री त्वानगानलु का मत था कि यदि वी राज्य ने चो राज्य पर विजय पायी , तो उस की शक्ति और मजबूत होगी और वह छी राज्य के लिए बड़ा खतरा बन जाएगा , इसलिए चो राज्य को बचाने के लिए सेना भेजना चाहिए ।

छी राजा ने त्वान का सुझाव स्वीकार लिया और छी राज्य के सेनापति थ्येनजी के साथ सुनपीन को सैन्य सलाहकार के पद पर नियुक्त कर अस्सी हजार सैनिक ले कर चो राज्य को बचाने भेजा ।

सुन पीन की प्रतिभा अत्यन्त मशहूर थी , उस के बारे में घुड़दौड़ की कहानी अब भी चीन में लोकप्रिय है । जो इस प्रकार हैः

छी राज्य के कुलीन वर्ग में घुड़ दौड़ पर बाजी लगाने की प्रथा खूब चल रही थी । सेनापति थ्येनजी और राजा राजकुमारों के बीच अनेक बार घुड़ दौड़ की स्पर्धा चली और दौड़ की हार जीत पर भारी धन की बाजी लगायी गई , लेकिन थ्येनजी ज्यादा बाजी हार जाता था । यह देख कर सुन पीन ने घुड़दौड़ मैच में जा कर मैच की स्थिति का जायज किया और पता चला कि वास्तव में थ्येनजी और राजा के घोड़ों में दौड़ की गति पर खास अन्तर नहीं है, मैच नियम के अनुसार दोनों पक्षों के घोड़े दौड़ की गति के मुताबिक तीन वर्गों में विभाजित होते हैं और समान वर्ग के घोड़े एक ही मैच में दौड़ते है । यह जानने के बाद सुन पीन ने थ्येनजी को प्रोत्साहन देते हुए कहाः अगले मैच में आप बड़ी से बड़ी बाजी लगाए , मैं आप को जीत लेने दूंगा ।

अगले मैच के दौरान सुनपीन ने थ्येनजी को सलाह दी कि आप अपने तीसरे वर्ग के घोड़े को राजा के पहले वर्ग के घोड़े से प्रतिस्पर्धा में लगाए , फिर अपने पहले वर्ग के घोड़े को राजा के दूसरे और अपने दूसरे वर्ग के घोड़े को राजा के तीसरे वर्ग के घोड़े से प्रतिस्पर्धा में लगाए । घुड़दौड़ का मैच जब समाप्त हुआ , थ्येनजी ने एक हार दो जीत पर अंतिम विजय प्राप्त की । इस के बाद सुनपीन का नाम और ज्यादा मशहूर हो गया ।

एक बार छी राज्य के राजा ने सुनपीन के साथ युद्ध कला पर चर्चा की और पूछा कि दो सेनाओं में जब युद्ध हो रहा है , दोनों का मोर्चा बहुत मजबूत है , इस के कारण किसी को दूसरे पर जल्दबाजी से धावा बोलने की हिम्मत नहीं है , ऐसी स्थिति में क्या तरीका अपनाना चाहिए?

सुनपीन ने कहा कि एक बहादुर और अनुभवी सेनापति को थोड़ी कम सैन्य शक्ति लेकर दुश्मन से ललकार करने भेजे और उसे विजय के बजाए हार जाने का स्वांग रचने को कहा , ताकि दुश्मन को गुमराह दिया जा सके , जबकि अपनी मुख्य सेना को चोरीछिपे दुश्मन सेना के बगल से गुजरने भेजे और बगल की दिशा में आकस्मिक तौर पर हमला बोले , तो दुश्मन की सेना में जरूर घबराहट और गड़बड़ी मचेगी और उस पर विजय पायी जाएगी ।

उधर थ्येनजी और सुनपीन छी राज्य की सेना ले कर चो राज्य को बचाने रवाना हो गए ।सुनपीन ने दोनों पक्षों की सैन्य वास्तविकता का विश्लेषण कर यह फैसला लिया कि वी राज्य की सेना बहुत तगड़ी है , उस से सीधे तौर पर युद्ध लड़ने से छी राज्य की सेना को भारी नुकसान पहुंच सकता है । इसलिए वी राज्य की कमजोरी पर आघात देना चाहिए । इस समय वी राज्य की मुख्य सैन्य शक्ति चो राज्य की राजधानी हानतान पर आक्रमण करने भेजी गई है , वी राज्य की अपनी राजधानी ताल्यांग की प्रतिरक्षा शक्ति निश्चय ही सशक्त नहीं है , उस की इस कमजोरी का लाभ उठा कर ताल्यांग पर चढ़ाई करे, तो अपनी राजधानी बचाने के लिए चो राज्य में भेजी गई वी राज्य की सेना को मजबूर हो कर वापल आना पड़ेगा , इस तरह चो राज्य की राजधानी हानतान पर लगी घेराबंदी हट जाएगी ।

दुश्मन सेना को भ्रम में डालने के लिए सुनपीन ने छी राज्य की एक छोटी सैन्य शक्ति को वी राज्य के सामरिक शहर फिंगलिंग पर हमला बोलने भेजा , नदीजा यह निकला कि छी राज्य की यह छोटी सेना बुरी तरह हार गई , इस से वी राज्य के सेनापति फांगच्वांग को गलतफहमी हुई कि छी राज्य की सेना बहुत कमजोर है , तो उस ने निश्चिंत हो कर चो राज्य पर हमला तेज कर दिया । तभी छी राज्य की सेना ने वी राज्य की राजधानी ताल्यांग पर हमला बोला । यह खबर वी राज्य के सेनापति फांगच्वांग तक पहुंची , तो वह बहुत चिंतित हुआ, उस ने तुरंत चो राज्य पर हमला बन्द कर वापस अपनी राजधानी बचाने का निर्णय किया । वी राज्य की राजधानी लौटने की लम्बी सफर से फांगच्वांग की सेना बहुत थकी मांदी हो गई । रास्ते में वह फिर सुनपीन द्वारा रचे गए युद्धब्युह में फंस पड़ी , जिस से वी राज्य की सेना को भारी मुंह खानी पड़ी ।

सुनपीन की चो राज्य को बचाने के लिए वी राज्य पर हमला की युद्ध कला चीन के प्राचीन युद्ध इतिहास में एक आदर्श मिसाल थी , जो आज भी चीनी सैन्य विशेषज्ञों की प्रशंसा का पात्र रही है ।

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