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पड़ोसी सुन्दरी की घर झांकने के नाम से मशहूर इस कहानी में कहा गया है कि सुंगयु और तंथुची दोनों छु राज्य के मंत्री थे और दोनों छु राजा के नजदीकी अधिकारी थे । सुंगयु प्रतिभाशाली था , इसलिए तंथुची उस से बेहद ईर्ष्या रखता था । वह छु राजा के सामने सुंगयु की खरी बुरी कहने वाले किसी भी मौके को हाथ से छूटने नहीं देता था । एक दिन तंथुची ने छु राजा से कहाः सुंगयु खूहसूरत है , प्रतिभाशाली भी है , लेकिन वह एक वासना कामुक आदमी है , महान राजा आप जरूर उसे अंतरपुरी में ना ले जाएं , अंतरपुरी में इतनी अधिक लावण रानियां दासियां हैं , उन से सुंगयु से मिलने पर अवश्य गड़बड़ी पैदा होगी ।
तंथुची की बात को ले कर छु राजा ने सुंगयु को अपने पास बुला कर उस से कारण पूछा, तो सुंगयु ने जवाब में कहाः महान राजा , मैं खूबसूरत तो सही , पर वह जन्मसिद्ध है , मैं ज्ञानी भी सच हूं , पर वह मेरी कड़ी मेहनत का फल है । जहां तक मुझे वासना कामुक कहता है , यह बिलकुल गलत है ।
छु राजा ने पूछा कि अपनी बात के लिए तुम्हारा क्या सबूत है ?
सुंगयु ने कहाः इस दुनिया की सुन्दर नारी सब से ज्यादा हमारे छु राज्य में मिलती है , छु राज्य की सुन्दरी सब से ज्य़ादा मेरी जन्म भूमि में पाती हैं । मेरी जन्म भूमि की सब से बड़ी सुन्दरी मेरे घर की पड़ोसी वाली युवती है । यह सुन्दर युवती इतनी अच्छी है कि कद में एक इंच बढ़ जाने पर वह हद से बड़ी लम्बी दिखती है , एक इंच कम होने पर वह नाटी दिखती है , श्रंगार पाउ़डर लगाने पर वह हद से ज्यादा गोरी होती है , लाल रंग लगने पर हद से ज्यादा सुर्ख होती है । उस के दांत , बाल , हाथ और पांव सब के सब बेजोड़ खूबसूरत है । उस की हल्की मुस्कराहट से तमाम कुलीन युवक मुग्ध मोहित हो जाते हैं । लेकिन इतनी सुन्दर युवती लगातार तीन सालों तक अपने घर से मुझे झांकती आयी है , इस से मैं जरा भी प्रभावित हुई । तो मुझे काही वासना कामुक कहा जा सकता है । वास्तव में तंथुची सचमुच एक वासना कामुक आदमी है ।
छु राजा ने तंथुची को वासना कामुक कहने का सबूत मांगा , तो सुंगयु ने कहाः तंथुची की पत्नी कुरूप है , लेकिन तंथुची को उस पर इतना मोह हुआ कि उस के साथ पांच बच्चों का जन्म किया । सुंगयु के इस तर्क पर छु राजा के पास कहने को कोई शब्द नहीं रहा । इसी एतिहासिक कहानी के साथ पड़ोसी सुन्दरी की घर झांकने का कहावत प्रचलित हो गया ।
सुंगयु की छुछी छंद की रचनाओं में नारी की सुन्दर , सुशील तथा कोमल चरित्र का खूब वर्णन किया गया है , जिस का उत्तरार्वती प्राचीन चीनी साहित्य में बड़ा प्रभाव पड़ा था और सुंगयु और उस की काव्य रचनाओं का भी विशेष स्थान बना रहा था ।
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