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ईसापूर्व पांचवी शताब्दी में चीन युद्धरत राज्य काल से गुजर रहा था । उस जमाने में देश की भूमि पर अनेक छोटे बड़े राज्य स्थापित हुए थे ,. जो आपस में युद्ध हुआ करते थे ।
युद्धरत काल में वी राज्य और चाओ राज्य पड़ोसी देश थे , दोनों के बीच अनाक्रमण संधि बनायी गई , इस संधि को असली जामा पहनने के लिए दोनों राज्य एक दूसरे को ईमानदारी के साक्षी के रूप में राज्य परिवर का एक सदस्य सौंप देते थे । वी राज्य के राजा ने चाओ राज्य की राजधानी हानतान में अपना एक पुत्र ईमानदारी के साक्षी के रूप में भेजने का निर्णय किया और अपने मंत्री फांगछङ को पुत्र की सुरक्षा का कर्तव्य निभाने साथ ही भेजा ।
फांगछङ वी राज्य का एक सुयोग्य उच्चाधिकारी था , राज्य महल में कुछ अधिकारी उस के विरोधी थे । इसलिए उसे डर था कि कहीं जब वह राजा के पुत्र के साथ चाओ राज्य चला गया , तो वे अधिकारी उस पर लांछन लगा कर उसे बदनाम नहीं करें । अतः चाओ राज्य के लिए रवाना होने से पहले उस ने वी राजा से कहाः महान राजा , यदि कोई आप को बताएं कि शहर की सड़क पर एक बाघ घुस आय है , क्या आप को इस पर विश्वास होगा ?
वी राजा ने कहाः मुझे विश्वास नहीं होगा , बाघ दिनदहाड़ कैसे शहर में आ सकता है ।
फांगछङ ने फिर पूछाः यदि दो लोग आप के पास आकर कहा कि शहर में बाघ आया है , तो आप को विश्वास हो अथवा नहीं ?
वी राजा ने कहाः दो लोग कहते हों , तो कुछ कुछ विश्वास हो सकता है ।
फांगछङ ने फिर पूछाः यदि तीन लोग एक साथ आप से कहें कि शहर में एक बाघ आया है , तो आप को विश्वास हो या नहीं ?
वी राजा ने थोड़ी दुविधा के लहजे में कहाः यदि सभी लोग ऐसा कहते हों , तो विश्वास करना होगा ।
वी राजा की बातों पर फांगछङ की चिंता और बढ़ी ,उस ने आह भर कर कहाः महान राजा , आप जरा यह सोचें कि बाघ शहर में नहीं आ सकता है ,यह एक सर्वविदित सत्य है । किन्तु जब तीन लोग कहते हैं कि बाघ शहर की सड़क में आया है , तो यह झूठ सच बन गयी । चाओ राज्य की राजधानी हानतान हमारे वी राज्य की राजधानी ताल्यांग से बहुत दूर है और राज महल सड़क से भी ज्यादा दूर , मेरे चले जाने के बाद मेरी खरी बुरी कहने वाले लोगों की संख्या भी तीन से कम नहीं होगी ।
वी राजा को फांगछङ का मतलब समझ में आया , उस ने उसे तसल्ली देते हुए कहा कि आप की चिंता मुझे मालूम हुई है , आप निश्चन से जा सकते हैं।
फांगछङ वी राजा के पुत्र के साथ चाओ राज्य के हानतान चला गया । उस के चले जाने के कुछ समय बाद ही कुछ लोगों ने वी राजा के सामने फांगछङ की बुरी बुरी कहना शुरू की , शुरू शुरू में वी राजा ने फांगछह की सफाई देते हुए कहा कि वह एक योग्य और वफादार मंत्री था । लेकिन जब फांगछङ के विरोधी लोग बार बार उस पर कलंक लगाते रहे, तो वी राजा को फांगछङ के इन विरोधी अधिकारियों की बातों पर विश्वास हो गया । बाद में जब फांगछङ चाओ राज्य से वी राज्य लौटा , तो राजा उसे अपने पास राजमहल में आने की अनुमति भी नहीं देता ।
चीन के इतिहास में इस तरह की मिलती जुलती एक दूसरी कथा भी प्रचलित है । चङशान युद्धरत राज्य काल का एक मशहूर विद्वान था , वह नैतिक चरित्र में भी बेदाग था । एक बार किसी काम के लिए चङशान घर से दूसरी जगह चला गया । संयोग से उस के समान नाम वाले एक लोग ने हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया गया । चङशान के पड़ोसी के एक लोग ने चङशान की माता को खबर पहुंचायी कि तुम्हारे पुत्र ने एक आदमी की हत्या की है और उसे गिरफ्तार भी किया गया है । चङशान की माता अपने पुत्र को खूब जानती थी , उसे पक्का विश्वास था कि उस का पुत्र कभी भी हत्या नहीं कर सकता , इसलिए वह अपनी बुनाई के काम में संग्लन रही । थोड़ी देर के बाद एक दूसरा पड़ोसी ने आ कर चङशान की माता से कहा कि तुम्हारे बेटे ने किसी की हत्या की है । तब चङशान की माता का विश्वास हिलने लगा , फिर भी वह अपने पुत्र के हत्या करने की खबर पर विश्वास नहीं करती थी । और थोड़ा समय गुजरा , तीसरा पड़ोसी ने आकर कहा कि तुम्हारे बेटे ने हत्या की है । तभी चङशान की माता का विश्वास एकदम टूट गया । वह बुनाई का काम छोड़ कर भाग गई ।
तीन लोगों की जबान से बाघ की खबर सच निकलने तथा चङशान द्वारा हत्या की कहानी बताती है कि लोकमत प्रबल और डरावना होता है ।
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