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छ्युचांग नहर पर थानह्वा की कहानी

ईस्वी सातवीं शताब्दी के स्वी राजवंश में चीन के सम्राट ने देश के प्रशासन के लिए प्रतिभाओं के चुनाव की परीक्षा व्यवस्था का आरंभ किया । इस व्यवस्था के तहत निभिन्न स्तरों की परीक्षाओं से प्रतिभाशाली लोगों का चुनाव किया जाता था और आगे उन्हें विभिन्न पदों पर नियुक्त किया जाता था । स्वी के बाद थांग राजवंश में इस परीक्षा व्यवस्था का बड़ा विकास किया गया , साधारण पढ़े लिखे लोगों को भी अधिकारियों की भांति विभिन्न स्तरीय परीक्षाओं में दाखिला होने की अनुमति दी गई और परीक्षा में खरे उतरने पर उन्हें अधिकारी नियुक्ति किए जाते थे ।

चीन के थांग राजवंश में अधिकारी परीक्षा नीचे से ले कर ऊपर तक कुल तीन स्तरों की होती थी , जिन के नाम क्रमशः श्योछाई , च्युरन और चिनशि थे । नीचे से ऊपर तक की तीनों स्तरों की परीक्षाओं में पास होने के बाद जो श्रेष्ठ निकलते थे , उन्हें अंत में सम्राट के सम्मुख परीक्षा के लिए पेश किये जाते थे । इस के उपरांत परीक्षा पास करने वालों को विभिन्न पदों पर नियुक्त किये जाते थे । परीक्षा के ऊपरी स्तर यनी चिनशि की उपाधि पाना सभी बुद्धिजीवियों की अभिलाषा थी , क्यों की इस स्तर की परीक्षा पास करने के बाद अच्छे पद के अधिकारी बन सकते थे ।लेकिन यह एक कठोर परीक्षा भी होती थी , कुछ लोग जिन्दगी भर कोशिश करने के बाद भी परीक्षा पास नहीं कर सकते थे ।

थांग राजवंश की चिनशि स्तरीय परीक्षा राजधानी छांगआन नगर में होती थी । हर साल के पहले महीने में शुरू होती थी और दूसरे महीने में परीक्षा के परिणाम घोषित किए जाते थे । इस वक्त चीन में वसंत का ऋतु आता था , सम्राट परीक्षा में पास हुए लोगों के सम्मान में छ्युचांग उद्यान में भव्य दावत देता था ।

छ्युचांग नहर छांगआन शहर के दक्षिण पूर्व भाग में बहती थी , नहर उद्यान के अन्दर आ कर धुमादार तालाब के रूप में बहने लगी , उद्यान के पास सुन्दर पुष्प क्वारी थी , मशहूर छिएन मठ , बड़ा यान पगोडा और छोटा यानथ पगोडा थे । सम्राट , मंत्री तथा कुलीन लोग अकसर यहां घूमने आते थे । बड़ी संख्या में बुद्धिजीवी और कवि भी छ्युचांग उद्यान में मदिरा पीने तथा कविता लिखने आते थे ।

सम्राट की दावत में घुमादार नहर के पानी पर मदिरा का प्याला रखा जाता था , जो पानी के प्रवाह के साथ आगे बहता चलता था । मदिरा प्याला जिस किसी चिनशि के पास रूका , तो वह चिनशि को मदिरा पीने के बाद एक कविता बनाना चाहिए । दावत के दौरान दो युवा और खूबसूरत चिनशि पुष्प क्वारी से फुल तोड़ कर लाते थे और सभी चिनशि के टोपी पर लगा देते थे । यह गतिविधि थानह्वा का दावत कहलाता था , चीनी भाषा में थानह्वा का अर्थ है फुल चुनना और वे दोनों युवा चिनशि फुश का दूत कहा जाता था । तत्कालीन बुद्धिजीवी वर्ग में थानह्वा का दावत एक असाधारण सम्मानजनक कार्यवाही समझी जाती थी ।

एक साल , छ्युचांग उद्यान का यह दावत समाप्त होने के बाद नव निर्वाचित चिनशि छीएन मठ में सैर करने आए , बड़ा यान पगोडा के पास आने पर एक चिनशि को बड़ा उत्साह आया और उस ने अपना नाम पगोडे की भिति पर खोद कर लिखा । इस से सीखते हुए उपरांत के सभी चिनशि छ्युचांग के थानह्वा दावत के बाद छिएन मठ के बड़ा यान पगोडे के स्तंभ पर अपना अपना नाम खोद कर लिखते थे । जो चिनशि आगे मंत्री या उच्च पदाधिकारी बने , उन के नाम लाल रंग में दोबारा लिखे जाते थे ।

थांग राजवंश में बुद्धिजीवी लोग छ्युचांग के थानह्वा दावत और बड़ा यान पगोडे पर अपना नाम लिखना एक असाधारण गौरव समझते थे । थांग राजवंश के महान कवि पाईच्युयी अन्य 16 प्रतिभाओं के साथ परीक्षा में खरे उत्तर कर चिनशि चुने गए , 17 लोगों में वह सब से जवान थे , जो 27 साल के थे । उस ने अपनी एक कविता में बड़े गर्व के साथ अपना तत्कालीन मनोभाव व्यक्त कियाः छिएन मठ के पगोडा पर नाम लिखे हुए है , 17 व्यक्तियों में उम्र मेरी छोटी ही है । आज के सीआन शहर में सुरक्षित बड़ा यान पगोडे की भिति पर भी प्राचीन चिनशि के नाम लिखे देखे जा सकते हैं ।

थांग राजवंश में अधिकारियों की नियुक्ति के लिए जो परीक्षा व्यवस्था लागू होती थी , उस ने साधारण बुद्धिजीवियों को राज्य के प्रशासन के काम में भाग लेने का मौका प्रदान किया था और तत्कालीन राजवंश के प्रशासन स्तर उन्नत किया गया था । लेकिन सामंती राजवंशों के उत्थान पतन के साथ साथ यह परीक्षा व्यवस्था भी पतित और भ्रष्ट हो गई और वह रूढीवादी व्यवस्था बन गई , जिस का सामाजिक विकास पर बड़ा कुप्रभाव पड़ा था । चीन के अंतिम सामंती राजवंश यानी छिंग राजवंश के पतन के साथ यह व्यवस्था भी रद्द कर दी गई ।

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