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युन राजवंश का स्थापत्य निर्माण

 

युन राज्यकाल ( ईस्वी1206--1368) में चान मंगोल शासकों द्वारा स्थापित एक विशाल भूमि वाला फौजी साम्राज्य था , किन्तु इस एतिहासिक काल में चीन का आर्थिक व सांस्कृतिक विकास बहुत धीमी गति से हो रहा था , स्थापत्य कला का विकास भी ह्रास की स्थिति में पड़ा था और अधिकांश स्थापत्य निर्माण सरल और सादा व अपरिष्कृत थे ।

युन राजवंश की राजधानी तातु नगर ( आज के पेइचिंग शहर का उत्तरी भाग ) बहुत विशाल और उस का आकार प्रकार निश्चित हुआ था , उस के उत्तरवर्ती राजवंश मिन और छिंग की राजधानी पेइचिंग उसी के आधार पर नव रूप में बनाया गया था । युन राजवंश में स्थापत्य निर्माण का काम मुख्यतः राजधानी तातु पर केन्द्रित था , शहर के मुख्य स्थापत्यों में राजमहल और उद्यान थे । आज जो युन राजवंश के स्थापत्य निर्माण बचे हैं , उन में थाईये झील का व्वानसाओ पर्वत ( आज के पेइचिंग शहर में स्थित पेहाई झील का छङथाई टापू ) उल्लेखनीय है , इस स्थापत्य काम से तत्कालीन सामाजिक विकास का अद्भुत दृश्य प्रतिबिंबित हुआ है ।

युन राजवंश की काष्ठ स्थापत्य कला में सुङ राजवंश की परम्परा बनी रही थी , लेकिन आर्थिक गतिरोध व लकड़ी सामग्री की कमी होने के कारण उस काल के काष्ठ निर्माणों का पैमाना और क्वालीटी सुङ राजवंश से बहुत बदतर थे । विशेष कर उत्तरी चीन में मंदिरों का निर्माण काम सरल , मोटा और अपरिष्कृत था ,निर्माण सामग्री भी अच्छी नहीं थी , मकान का ढांचा सरल कर दिया गया था । शानसी प्रांत की यङची काउंटी का यङल्ये भवन तत्काल का एक अहम ताई धर्म मठ है , जिस में सुङ राज्यकाल की स्थापत्य कला की परम्परा अच्छी तरह सुरक्षित है ।

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