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थांग राजवंश की स्थापत्य कला

थांग राज्य काल ( ईस्वी 618--907) चीन के सामंती समाज में सामाजिक , आर्थिक व सांस्कृतिक क्षेत्रों में तेज विकास का एक एतिहासिक काल था । इस काल में स्थापत्य कला और तकनीक का भी भारी विकास हो गया । थांग राजवंश के स्थापत्य निर्माण बहुत विशाल , भव्य ,खुला और सुव्यवस्थित थे ।

थांग राजवंश के वास्तु निर्माण पैमाने पर अत्यन्त विशाल व भव्य , तथा ढांचे पर सुनियोजित तथा नियमबद्ध थे ।चीन में निर्माण समूह का विकास इस एतिहासिक काल में लगातार परिपक्व हो गया । थांग राजवंश की राजधानी छांग आन शहर ( आज का सीआन ) और उस की पूर्वी राजधानी लो यांग में विशाल पैमाने पर राजमहल , उद्यान तथा सरकारी दफतर बनाए गए थे , इन स्थापत्य निर्माणों की संरचना और अधिक सुव्यवस्थित तथा युक्तिसंगत हो गई थी । उस समय छांग आन विश्व का सब से बड़ा और सुन्दर शहर था , शहर का निर्माण भी चीन के अन्य प्राचीन कालों से अधिक कड़ी योजना पर किया गया था । छांग आन शहर के भीतर निर्मित राजमहल --तामिन भवन इतना विशाल और भव्य था कि उस का खंडहर भी उपरांत के मिन व छिंग राजवंशों के पेइचिंग शाही प्रासाद से तीन गुना अधिक है ।

थांग राजवंश के वास्तु निर्माण लकड़ी से निर्मित थे ,जिस में कला , शैली तथा ढांचे का अनुठा एकीकरण प्राप्त हुआ था , मकान के लकड़ी के जोड़ ,स्तंब तथा धरन जैसी निर्माण सामग्रियों में भी शक्ति और सौंदर्य के उत्तम मिश्रण व्यक्त हुआ था । थांग राजवंश की स्थापत्य शैली खुली , सीदा सादा और भव्य थी , रंग स्पष्ट और चटकीला था । शानसी प्रांत के वु थाई पर्वत में निर्मित फोक्वांग मठ और युन्नान प्रांत के ताली नगर का छ्यानश्यन पगोड़ा ठेठ शैली का थांग राजवंश का स्थापत्य काम है , जिस में उपरोक्त विशेषताएं देखने को मिलती है ।

इस के अवाला थांग राजवंश में पत्थर का निर्माण भी खासा विकसित हो गया था । उस काल में बौध स्तूप आम तौर पर पत्थर व ईंट से बनाए गए थे । सीआन शहर का तायन पगोडा , शोयन पगोड़ा तथा ताली का छ्यानश्यन पगोडा चीन में अब सुरक्षित थांग राजवंश के पत्थर के पगोडा हैं ।

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