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पेइचिंग मानव जीवाश्म खोने का रहस्य
विश्वविख्यात पेइचिंग मानव के जीवाश्म खो जाने से पहले वह पेइचिंग के श्ये ह असपताल के तिजोरी में बंद कर रखा गया था ।

दूसरे विश्व युद्ध काल में प्रशांत महा सागर पर युद्ध छिड़ने से कुछ समय पूर्व जीवाश्म पर अनुसंधान में लगे सुप्रसिद्ध मानव शास्त्र के विद्वान वुई तुन रवी का कहना था कि श्ये ह अस्पताल पेइचिंग मानव जीवाश्म के लिए भी सुरक्षित जगह नहीं है , उस की राय थी कि उसे अमरीका में सुरक्षित रखने केलिए पहुंचाया जाना चाहिए । पर्ल बंदरगाह कांड होने से दो या तीन हफ्ते पहले के एक दिन श्ये ह अस्पताल के जनरल मामला विभाग के प्रभारी पो वुन को अचानक पेइचिंग मानव जीवाश्मों को बक्स में पैग करने का आदेश मिला । इस आदेश के अनुसार पेइचिंग मानव के पांच खोपड़े तथा खोपड़े के 15 टुकड़े , जबड़े की 14 हड्डी , जांघ , घुटने , बांह की हड्डियों तथा दांत के कुल 147 जीवाश्म नरम बढ़िया सूती कागजों से अच्छी तरह पैग कर , चिकित्सा में प्रयुक्त रूई और अन्य किस्मों के कागजों , सूती कपड़ों तथा रूई से बांध कर दो बड़े बड़े बक्सों में रखे गए और पेइचिंग स्थित अमरीकी दूतावास पहुंचाये गए । इन पेइचिंग मानव जीवाश्मों को अमरीकी मैरिन टुकड़ी के साथ अमरीका पहुंचाया जाने की योजना थी । लेकिन उसी समय के बाद विश्व का ध्यान खींचने वाले ये अमोल पेइचिंग मानव जीवाश्म बड़े रहस्य से खो गए , आज तक इस का कोई पता अता भी नहीं रहा ।

कहा जाता था कि पेइचिंग मानव जीवाश्म उत्तर चीन के छिन हुङ थाओ बंदरगाह में हर्रिसोन राष्ट्रपति नामक पोस्ट जहाज पर पहुंचाये गए थे , अमरीका को जाने के रास्ते में वे जहाज के साथ समुद्र में जलमग्न हो चुके थे । लेकिन दूसरे कथन के अनुसार यह पोस्ट जहाज जापानी आक्रमणकारी सेना के कब्जे में पड़ा , जहाज पर रखे गए जीवाश्म जापानी सेना के हाथ में गए , इस के बाद कई हाथों से वे हस्तांतरित हुए , अंत में वे लाप्ता हो गये ।

दूसरे विश्व युद्ध की समाप्ति के बाद अमरीकी सेना ने पेइचंग मानव जीवाश्म की तलाश के लिए जापान में व्यापक तौर पर छानबीन किया , किन्तु खाली हाथ लगा । वर्ष 1972 में अमरीका के धनी व्यापरी जान्युस ने जीवाश्म का पता बताने पर भारी इनाम की घोषणा की , अनेक लोगों ने इस का सुराग बताया , लेकिन जांचपरख के बाद इन सभी को गलत साबित कर दिया गया । वर्ष 1970 में न्यूयार्क की एक महिला ने पेइचिंग मानव जीवाश्म की तलाश में संलग्न वैज्ञानिक श्री क्रिसटोफ को फोन कर बताया था कि उस के पति अपने जीवन काल में इन जीवाश्मों को सुरक्षित कर रखे हुआ था । महिला द्वारा भेजे गए फोटो देख कर क्रिसटोफ को विश्वास हुआ था कि वे लाप्ता हुआ पेइचिंग मानव जीवाश्म है । किन्तु खेद की बात थी कि उस महिला के साथ क्रिसटोफ का संपर्क कुछ ही समय बाद टूट पड़ा । वर्ष 1991 में अमरीकी नौ सेना के अफसर , इतिहासकार श्री बॉलोन को तत्कल में पेइचिंग मानव जीवाश्मों के खो जाने के कारण जेल में डाले गए डाक्टर फरी का पत्र मिला , उस ने पत्र में कहा कि उस का पेइचिंग मानव जीवाश्म सुरक्षित रखने का दावा करने वाली उस महिला के साथ संपर्क हुआ और जल्दी ही मानव जीवाश्म खो जाने के रहस्य का उद्घाटन किया जा सकेगा । पर बड़े अफसोस की बात कि वर्ष 1992 के शरद काल में डाक्टर फरी का भी देहांत हो गया ।

वर्ष 1970 के अंत में न्यूयार्क टाइम्स में डाक्टर विलियन्म का एक ज्ञापन छपा , जिस में उस ने कहा कि उसे पेइचिंग मानव जीवाश्मों के बारे में तीन सुराग प्राप्त है ,यानी ये जीवाश्म उत्तर चीन के थ्येन च्यन शहर में एक मित्र के घर में थे , या थ्येन च्येन में फ्रांसीसी लोगों द्वारा स्थापित पास्ते अनुसंधान प्रतिष्ठान में थे और थ्येन च्येन में स्वेटरलैंड वासियों द्वारा खोली गई बैंक में थे । इस की खबर पाने के बाद थ्येन च्येन शहर के सार्वजनिक सुरक्षा ब्यूरो ने अति गोपनीय मामले के नाम पर एक विशेष जांच दल कायम किया , जो इन सुरागों के अनुसार छानबीन शुरू किया , लेकिन अंत में इन तीनों सुरागों को गलत बताया गया । चीन के सांस्कृतिक महा क्रांति के दौरान किसी ने खूनी श्ये ह अस्पताल शीषर्क एक छोटी पुस्तक लिखी थी , जिस में कहा गया कि पेइचिंग मानव जीवाश्म देश से बाहर कभी भी नहीं ले जाया गया , लेकिन इस पुस्तक के लेखक का भी पता अता नहीं रहा । कुछ समय पहले चीनी मानव शास्त्री श्री चो क्वो शङ ने वर्षों की जांच पड़ताल के बाद एक नए सुराग का पता चला , जिस के अनुसार पर्ल बंदरगाह कांड होने से पूर्व अमरीकी मैरिन टुकड़ी के मुख्यालय तथा अमरीकी दूतावास से जुड़े एक दरवाज के पहरेदार सैनिक ने उस सयम एक दिन वहां यह देखा था कि दो आदमी ने दूतावास के पिछवाड़े की जमीन में एक बड़ा बक्स गाड़ दिया था। उस का अंदाज था कि उस बक्स में पेइचिंग मानव जीवाश्य रखा गया होगा । इस सुराग के अनुसार श्री चो क्वो शह ने उस जगह का पता चला , पर उस पर मकान बनाया गया है , वहां खुदाई करना असंभव है ।

पेइचिंग मानव जीवाश्म खोए हुए अब तक दसियों साल हो गए हैं , लेकिन अभी भी उस का पता नहीं चला । चीनी प्रधान मंत्री स्वर्गीय चाओ ओन लाई ने अपने जीवन काल में कहा था कि पेइचिंग मानव जीवाश्म चीनियों द्वारा अमरीकियों को सौपा गया था , वे अमरीकियों के हाथों से खो गए , इसलिए ईमानदार वैज्ञानिकों को उन की तलाश कर बरामदा कर देना चाहिए ।

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