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वी राज्य ,च्येन राजवंश और उत्तर दक्षिण राज्य काल

वी राज्य और च्येन राजवंश का एतिहासिक काल ईस्वी 220 से 589तक था । दूसरी सदी के अंत में चीन के पूर्वी हान राजवंश का पतन हुआ ,चीन एक लम्बे विभाजन काल से गुजरने लगा । इस काल ( ईस्वी 189 से 265 तक ) में चीन की भूमि पर क्रमशः वी ,सु और वु तीन राज्यों की स्थापना हुई , जो चीन के इतिहास में त्रि राज्य काल के नाम से मशहूर था । ईस्वी 265 में स्थापित पश्चिम च्येन राजवंश ने त्रि राज्य काल को समाप्त कर देश का एकीकरण किया । पश्चिम च्येन राजवंश का शासन अल्प कालिक था ( ईस्वी 265 --316) , चीन फिर एक बार विभाजन स्थिति में पड़ गया । पश्चिम च्येन राजवंश के राजकुल के लोगों ने यांगत्सी नदी के दक्षिण में चीन की भूमि पर पूर्वी च्येन राजवंश की स्थापना की , जो ईस्वी 317 से 420 तक चला । इस बीच उत्तर चीन की विशाल भूमि पर विभिन्न जातियों में लगातार युद्ध चलता रहा और आगे पीछे अनेक सत्ता अस्तित्व में आई, जिन्हें मिला कर 16 राज्य कहलाते हैं।

इस काल में दक्षिण चीन में अर्थतंत्र का बड़ा विकास हुआ । उत्तर और पश्चिम भाग में आबाद अल्प संख्यक जातियों का देश के भीतरी इलाकों में स्थानांतरण होने लगा । विभिन्न जातियों के स्थानांतरण व मिश्रित पुनर्वास के दौरान एक दूसरे का विलय हो गया । इस काल में सांस्कृतिक आदान प्रदान भी जारी रहा और ताओवाद व बौध धर्म के मिश्रण से एक नया रूप का आध्यात्मिक दर्शन शास्त्र का प्रादुर्भाव हुआ और उस का खासा बोलबाला भी हुआ । लेकिन विभिन्न राज्यों के शासक प्रायः बौध धर्म का पक्ष लेते थे और इस तरह बौध धर्म का चीन में जोरदार प्रसार हो गया । कला साहित्य क्षेत्र में वी राज्य के च्यान आन काल में सात साहित्यकार ज्यादा प्रसिद्ध थे , च्येन राजवंश के महान कवि थो य्वान मिन की कविता , लिपिकार वांग शि जी की लिपिकला , कु खाई जी की चित्रकला तथा त्वुन हुंग गुफा की मुर्ति व भितिचित्र कला चीन के कला साहित्य इतिहास में अमोल कृतियां माने जाते हैं ।

इस काल में चीन के विज्ञान तकनीक क्षेत्र में भी बड़ी उपलब्धियां प्राप्त हुई थीं । चीन के प्राचीन गणित शास्त्री ज्वु छङ जी ने वृत्ताकार की परिधि व उस के व्यास की स्टीक विभाजन दर शून्य से नीचे सात अंक तक हिसाब कर दिखाया , इस वैज्ञानिक सफलता से उसे इस काम के लिए विश्व के प्रथम व्यक्ति बनने का गौरव प्राप्त हुआ , चा श श्ये की पुस्तक जन हितों का कार्य कौशल विश्व कृषि शास्त्र इतिहास की महान रचना मानी जाती है ।

उत्तर पश्चिम राज्य काल ( ईस्वी 420 --589 ) चीन के इतिहास में उत्तरी राज्य काल और दक्षिणी राज्य काल का मिश्रित नाम है । उत्तरी राज्यों में उत्तरी वी , इस के विभाजन से बने पूर्वी वी व पश्चिमी वी , पूर्वी वी की जगह पर स्थापित उत्तरी छी , पश्चिमी वी की जगह पर कायम उत्तरी चो शामिल थे । दक्षिणी राज्यों में क्रमशः सुङ , छी ,ल्यांग और छन आए थे।

उत्तर दक्षिण राज्य काल में आर्थिक विकास मुख्यतः दक्षिण चीन में हुआ था , मध्य चीन के लोग युद्ध की मुसिबतों से बचने के लिए बड़ी संख्या में दक्षिण में चले आए , इस से दक्षिण चीन में श्रम शक्ति लगातार बढ़ती गई और उत्तरी चीन के उन्नत उत्पादन कौशल भी दक्षिण में लाए गए , जिस से वहां की अर्थव्यवस्था का बड़ा बढ़ावा मिला । दक्षिण चीन के यांग चो नगर के आसपास का क्षेत्र उस समय का विकसित आर्थिक इलाका बन गया ।

सांस्कृतिक क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति आध्यात्मिक दर्शन शास्त्र की उत्पति हुई थी , युद्धग्रस्त अव्युवस्थित समाज में वैचारिक स्वतंत्रता को बड़ी सुविधा व गुंजाइश मिली थी , कला साहित्य की उपलब्धियां भी उच्च कोटि की थी तथा कविता का असाधारण विकास हो गया ।

इस काल में विदेशों के साथ आदान प्रदान भी बहुत विकसित हुआ था . पूर्व में जापान व कोरिया, पश्चिम में मध्य एशिया व रोम के साथ संपर्क घनिष्ट कायम हुआ तथा दक्षिण पूर्व एशिया के साथ भी आदान प्रदान हो गया था ।

पूर्वी च्येन राजवंश का ह्रास होने के बाद उत्तर दक्षिण राज्य काल चीन के इतिहास में ऐसे कम कालों में एक था , जिस के दौरान बड़ी संख्या में राज्य आए और चले गए ।उन की उत्पति से चीन के आर्थिक विकास को अवरूद्ध कर दिया गया , लेकिन बाहर से आए मुल्कों के मध्य चीन पर शासन के परिणामस्वरूप पीली नदी की घाटी में विभिन्न जातियों का विलय हुआ , जो चीन के इतिहास में कम देखने को मिला था । ऐसी ही स्थिति में उत्तर चीन के विभिन्न कबीलों का हान जाति में विलय हो गया और अंत में एक ही राष्ट्र संपन्न हुआ था ।कहा जा सकता है कि उत्तर और दक्षिण के विभाजन से ही जातियों के एकीकरण को बल मिला था , यह चीनी राष्ट्र के विकास की प्रक्रिया में एक अहम कड़ी माना गया है ।

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