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हान राजवंश
चीन के इतिहास में ईसापूर्व 206 से ईस्वी 8 तक पश्चिम हान राज्य काल था । हान राजवंश की स्थापना उस के प्रथम सम्राट ल्यू बांग ने की थी , राजधानी छांग आन।

हान राजवंश के सम्राट क्वो जु यानी ल्यू बांग ईसापूर्व 2006 से ईसापूर्व 195 तक सत्ता पर रहे । अपने शासन काल में उस ने केन्द्र के शासन को मजबूत करने के लिए सिलसिलेवार जन कल्याण नीतियां अपनाईं , जिस से उस का शासन काफी सुदृढ़ हो गया । सम्राट क्वो जु के निधन के बाद सम्राट हुई ती गद्दी पर बैठा , हुई ती के शासन काल में राज्य की सत्ता असल में क्वो जु की रानी राजमाता ल्यी ची के हाथ में थी । राजमाता ल्यी ची लगातार 16 सालों तक शासन करती रही , वह चीन के इतिहास में इने गिने महिला शासकों में से एक थी । ईसापूर्व 183 में सम्राट वुन ती सिन्हासन पर आये , उस के और उस के पुत्र सम्राट च्यङ ती के शासन काल (ईसापूर्व 156-- 143 तक ) राजवंश की जन कल्याण नीति जारी की गई तथा प्रजा पर कर वसूली कम कर दी गई । इस के परिणामस्वरूप पश्चिम हान रजवंश का अर्थतंत्र फलता फूलता रहा , इस एतिहासिक काल को चीन के इतिहास में वुन-च्यङ स्वर्ण काल कहलाता है ।

वुन-च्यङ स्वर्ण काल में पश्चिम हान राजवंश की शक्ति प्रबल हो गई । ईसापूर्व 141 में सम्राट वु ती ने राज्य का बगडोर संभाला । अपने शासन काल में वु ती ने सेनापति वी छिंग और ह्वो छु ब्येन को हूण के आक्रमण को कुचलने के लिए भेजा और पश्चिम हान राज्य का विस्तार किया तथा हान राजवंश के उत्तरी भाग के आर्थिक व सांस्कृतिक विकास को सुनिश्चित किया । सम्राट वु ती के शासन के उत्तरावर्ती काल में सैन्य अभियान बन्द हो गया और साम्राज्य ने कृषि के जोरदार विकास पर प्राथमिकता दी गई , जिस से पश्चिम हान राजवंश के आर्थिक विकास ने नया बल पकड़ा । वु ती के पश्चात सम्राट जाओ ती के शासन काल में आर्थिक विकास की गति जारी की गई और पश्चिम हान राजवंश की शक्ति इस राजवंश की चोटी पर पहुंची ।

जाओ ती और उस के उपरांत के श्वान ती दोनों सम्राटों के 38 वर्ष लम्बे शासन काल में जन कल्याण नीति जारी रही , पश्चिम हान राजवंश की शक्ति निरंतर बढ़ती गई, लेकिन इस के साथ स्थानीय प्रशासनों की शक्ति भी बढ़ती गई , जिस का हान राजवंश के शासन पर बुरा असर पड़ा । ईस्वी 8 तक शाही दरबार के मंत्री वांग मांग ने षड़यंत्र रच कर राज्य सत्ता छीन ली और राज्य का नाम बदल कर सिन रखा । इसतरह पश्चिम हान राजवंश का शासन खत्म हुआ ।

पश्चिम हान राजवंश चीन के इतिहास में शक्तिशाली साम्राज्यों में से एक था, उस के विभिन्न शासन कालों में जन कल्याण नीति लागू की गई , जन जीवन अपेक्षाकृत समृद्ध् था और समाज में खुशहाली और शांति रही तथा राजनीतिक स्थिरता भी लम्बे अरसे तक बनी रही । सम्राट वु ती ने अपने मंत्री तुंग चुंग सु के सुझाव को अमल में ला कर विभिन्न वैचारिक मतों को खारिज कर मात्र कंफ्युसेस विचारधारा अख्तियार कर ली , तभी से चीन के उत्तरावर्ती विभिन्न राजवंशों में कंफ्युसेस विचारधारा शासन की रणनीति के रूप में सम्मानित की जाने लगी थी ।

स्थिर राजनीतिक व आर्थिक विकास के फलस्वरूप पश्चिम हान राजवंश में कारीगरी , वाणिज्य , कला साहित्य तथा प्राकृतिक विज्ञान में अभूतपूर्व तरक्की आई । विज्ञान तकनीक की उन्नति से धातु शोधन और कताई बुनाई प्रधान कारीगरी की कार्यक्षमता बहुत उन्नत हो गई ।कारीगरी के विकास से व्यापार ने भी जोर पकड़ा । पश्चिम हान राजवंश के काल में रेशम मार्ग खुला , चीन और पश्चिमी एशिया के विभिन्न देशों के बीच राजनयिक तथा व्यापारिक आदान प्रदान विकसित हुआ ।

ईस्वी 25 से ईस्वी 220 तक चीन के इतिहास में पूर्वी हान राजवंश का काल था , पूर्वी हान राजवंश का संस्थापक सम्राट क्वांग वु ती था , उस का नाम ल्यू श्यु ।

ईस्वी 24 में ल्यू श्यु ने ल्यी लिन विद्रोही सेना की मदद में पश्चिम हान राजवंश की सत्ता छीनने वाले वांग मांग को पराजित कर पुनः हान राजवंश की स्थापना की ,इतिहास में उसे पूर्वी हान राजवंश कहलाता है । पूर्वी हान राजवंश की राजधानी लो यांग थी । सम्राट क्वांग वु ती के च्येन वु काल के दूसरे वर्ष में सम्राट ने वांग मांग द्वरा लागू पुरानी नीतियों का पूरी तरह त्याग कर शासन पद्धति सुव्यवस्थित कर दिया , सम्राट के तहत छै मंत्री नियुक्त हुए , जो राज्य के विभिन्न मामलों की देखरेख करते थे । इस सुधार से पहले के सर्वशक्तिमान सेनापति ,भूमि आवास मंत्री तथा उद्योग वाणिज्य मंत्री के पदों को कमजोर बनाया गया , उस समय सरकारी दास पद्धति का अंत कर दिया गया , भूमि का सर्वेक्षण हुआ, जिस से प्रजा का जीवन फिर शांत और सुभर हो गया । ईस्वी पहली शताब्दी के मध्य तक सम्राट क्वांग वु ती , मिन ती तथा चांग ती के सुशासन के परिणामस्वरूप पूर्वी हान राजवंश कदम कदम शक्तिशाली और समृद्ध होने लगा और पश्चिम हान राजवंश के स्वर्ण काल की बराबरी पर जा पहुंचा । इतिहास में इस काल को क्वांग वु पुनरूत्थान काल कहा जाता है ।

पूवी हान राजवंश के पूर्ववर्ती काल में राज्य सत्ता के और अधिक सुदृढ़ होने तथा केन्द्र और स्थानीय प्रशासन के बीच सुलह होने के कारण साम्राज्य में शांति और स्थिरता आई, आर्थिक व सांस्कृतिक विकास तथा विज्ञान तकनीक की प्रगति सब पश्चिम हान राजवंश से आगे निकली थी ।ईस्वी 105 में छाई लुन नामक एक पदाधिकारी ने कागज बनाने का कौशल आविष्कृत किया , इस महान आविष्कार ने चीन में लकड़ी पर लिखने के इतिहास को समाप्त किया । कागज बनाने की तकनीक प्राचीन चीन के चार महान आविष्कारों में से एक माना गया , जो आज तक भी विश्व में मशहूर है । पूर्वी हान राजवंश में प्राकृतिक विज्ञान की बड़ी प्रगति हुई , प्राचीन चीनी वैज्ञानिक चांग हङ ने विज्ञान तकनीक में असाधारण उपलब्धियां प्राप्त की , उस ने गोलाकार नक्षत्र सर्वेक्षण यंत्र तथा भूचाल माप यंत्र जैसे वैज्ञानिक अनुसंधान उपकरण आविष्कृत किये । इस के अतिरिक्त पूर्वी हान राजवंश के अंतिम काल में सुपसिद्ध चिकित्सक ह्वा थो ने सर्जनरी चिकित्सा में रोगी को सुन्न करने वाली औषधि का आविष्कार किया , जो मानव इतिहास में शरीर को सुन्न करने की तकनीक जानने वाली प्रथम चिकित्सक था ।

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