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वेवूर जाति की परंपरागत चिकित्सा पद्धति

वेवूर जाति की परंपरागत चिकित्सा पद्धति की आम स्थिति

चीन का सिंच्यांग क्षेत्र प्राचीन काल में सियू कहलाता था । पश्चिमी हान राजवंश के काल में सियू क्षेत्र में रेशमी मार्ग को प्रशस्त किया गया , जिससे वाणिज्य के विकास तथा सांस्कृतिक आवाजाहियों को बढ़ावा मिला । इसी कारण से पूर्वी व पश्चिमी क्षेत्रों की परंपरागत चिकित्सा पद्धतियों का सिंच्यांग में मिलाप भी हो पाया तथा स्थानीय चिकित्सा पद्धति को विकसित होने का मौका मिला । इसलिए यह कहा जा सकता है कि वेवूर जाति की परंपरागत चिकित्सा पद्धति पूर्वी तथा पश्चिमी क्षेत्रों से आये बाहरी चिकित्सा पद्धतियों के आदान प्रदान के आधार पर विकसित वेवूर जाति की विशेषता प्राप्त चिकित्सा पद्धति है ।

चीनी परंपरागत चिकित्सा पद्धति की दवाओं की नामसूची में वेवूर जाती की दवाएं महत्वपूर्ण हैं । चीन के राज्य स्तरीय ग्रंथों में कुल 202 किस्म की वेवूर जातीय दवाएं शामिल हैं जिन में 115 जड़ी बूटियां भी हैं । सिंच्यांग विश्व में चार दीर्घायु वाले क्षेत्रों में से एक बताया जाता है जहां वेवूर जाति की परंपरागत औषधियों का व्यापक प्रचार होता जा रहा है । वेवूर जाति की परंपरागत चिकित्सा पद्धति बर्फीले पहाड़ों , रेगिस्तानों , घास के मैदानों तथा नख्लिस्तानों में पैदा हुई है जो अपनी इन विशेषताओं से विश्व का ध्यान भी आकर्षित करती है ।

वेवूर जाति की परंपरागत दवा

चीन के सिंच्यांग वेवूर स्वायत्त प्रदेश में 600 से अधिक वेवूर परंपरागत दवाएं हैं , जिन में 360 किस्म की दवाओं का अक्सर इस्तेमाल किया जाता है । लगभग 27 प्रतिशत दवाएं यानी कि 160 किस्म की दवाओं का उत्पादन सिंच्यांग में ही होता है ।

वेवूर जाति की परंपरागत दवाओं में अक्सर मसालों का इस्तेमाल होता है , जैसे कस्तूरी और लवैन्डर आदि के अतिरिक्त कुछ जहरीली जड़ी बूटियां भी वेवूर जाति की परंपरागत दवाओं की पंक्ति में शामिल हैं ।

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