1949 में नए चीन की स्थापना के बाद के पहले 30 सालों में चीन सरकार योजनाबद्ध आर्थिक व्यवस्था का अमल करती रही और राष्ट्र की विशेष संस्थाए आर्थिक विकास के विभिन्न क्षेत्रों के लक्ष्य की योजना व नीति तैयार करती आयी है । इस व्यवस्था के अन्तर्गत चीन की आर्थिक योजना व उसका लक्ष्य स्थिरता से विकसित होता रहा था, लेकिन इस व्यवस्था ने स्वंय को गंभीर रूप से अपनी संचार शक्ति व विकास गति को भी जकड़ कर रख डाला है ।
पिछली शताब्दी के 70 वाले दशक के अन्त में चीन ने योजनाबद्ध आर्थिक व्यवस्था में सुधार करना शुरू किया। 1978 से चीन के ग्रामीण क्षेत्रों में परिवार उत्पादन ठेका लेने की जिम्मेदारी व्यवस्था लागू की जाने लगी, 1984 से आर्थिक व्यवस्था सुधार गांव से शहर की ओर अग्रसर हुई। 1992 में चीन ने समाजवादी बाजार आर्थिक व्यवस्था के सुधार की दिशा निर्धारित कर ली।
अक्टूबर 2003 में चीन ने समाजवादी बाजार आर्थिक व्यवस्था के लक्ष्य व कार्य को अधिक परिपूर्ण बनाने की दिशा को स्पष्ट किया । यानी शहर और गांव व क्षेत्रीय विकास , आर्थिक समाज विकास, मानव व प्राकृतिक का स्नेहपूर्व विकास तथा घरेलु विकास व खुलेपन का विस्तार को सही रूप से उनमें ताल मेल बिठाने व उनके बीच घनिष्ठ संपर्क जोड़ने के आधार पर बाजार के संसाधन के बंटवारे की बुनियादी भूमिका को अच्छी तरह निभाने में सफलता प्राप्त की और कारोबारों की संचार शक्ति व स्पर्धा शक्ति को बढ़ाने, देश की समष्टिगत नियंत्रण को पूर्ण बनाने तथा सरकार के समाज के प्रबंध व सार्वजनिक सेवा की क्षमता को उन्नत कर पूर्ण खुशहाली समाज के निर्माण के लिए शक्तिशाली व्यवस्था की गारंटी प्रदान करने की सुनिश्चता प्रदान की ।
योजनानुसार, वर्ष 2010 में चीन अपेक्षाकृत पूर्ण समाजवादी बाजार आर्थिक व्यवस्था कायम करने के लक्ष्य को हासिल कर लेगा और वर्ष 2020 में एक अपेक्षाकृत परिपक्व समाजवादी बाजार आर्थिक व्यवस्था के निर्माण को पूरा कर लेगा।