यह कड़ा गैर-अपहरण अधिनियम 2016, जो पिछले वर्ष पारित किया गया, ने वास्तव में 1982 में अधिनियमित एक पुराने कानून की जगह ली है, जिसमें बंधकों की मृत्यु के मामले में ही अपहर्ताओं पर केस चलाने का निर्धारण किया गया था।
नये कानून के अनुसार, किसी भी व्यक्ति की मृत्यु के मामले में अपहर्ताओं को मौत की सज़ा दी जाएगी, जबकि अन्य मामलों में दोषी को आजीवन कारावास और जुर्माना लगाया जाएगा।
नया कानून भी भारतीय सरकार को अपहर्ताओं के चल और अचल संपत्ति को जब्त करने का अधिकार देता है।
वास्तव में भारत सरकार ने दिसंबर, 1999 में भारतीय उड़ान के अपहरण के बाद अधिनियम में मौत की सजा शामिल करने की आवश्यकता महसूस की, जिसे अफगानिस्तान ले जाया गया था।
(अखिल पाराशर)