भारत स्थित चीनी दूतावास की प्रेस प्रवक्ता श्ये ली यान ने हाल ही में भारतीय श्रद्धालुओं के प्रवेश पर बयान देते हुए कहा कि सन 1980 के दशक से चीन ने तिब्बत स्वायत्त प्रदेश में स्थित कांगरेनपोछे की तीर्थयात्रा का प्रबंध करने के लिए भारी प्रयास किया है । वर्ष 2014 में जब चीनी राष्ट्रपति शी चिनफींग ने भारत की यात्रा की थी तब उन्होंने भारत के श्रद्धालुओं के लिए नाथूला दर्रा खोलने की घोषणा की । यह नया रास्ता वर्ष 2015 में खोला गया । इसी रास्ते से प्रति वर्ष दस हजार श्रद्धालुओं का सत्कार किया जाता है । भारत सरकार और विभिन्न जगतों ने इसकी प्रशंसा की और आभार जताया ।
इस वर्ष पहले चरण के श्रद्धालुओं को 20 जून को नाथूला दर्रे के जरिये चीन में प्रवेश करवाने की योजना थी और चीनी दूतावास ने उन्हें वीज़ा जारी किया । लेकिन भारतीय सीमा गार्ड ने चीन-भारत सीमा के सिक्किम भाग को पार कर चीन की प्रादेशिक भूमि तूंगलांग क्षेत्र में घुसकर चीनी सीमांत टुकड़ी की सामान्य कार्यवाहियों को रोका । सुरक्षा के विचार में चीन ने विवश होकर भारतीय श्रद्धालुओं के प्रवेश को बन्द किया और राजनयिक माध्यम से भारत पक्ष को सूचित किया ।
श्ये ली यान ने कहा कि चीन भारतीय जनता की धार्मिक भावना को महत्व देता है । अब भारतीय श्रद्धालुओं के दूसरे मार्गों से कांगरेनपोछे की तीर्थयात्रा सामान्य तौर पर चल रही है । कुछ भारतीय दोस्तों ने उक्त भारतीय श्रद्धालुओं के दूसरे मार्गों से तीर्थयात्रा करवाने की आशा जतायी है । संबंधित रिपोर्टे चीनी सरकार के जिम्मेदार विभाग को प्रस्तुत की गयी है ।