सीमा विवाद पर चीनी राजदूत लो चाओ ह्वेई का पीटीआई से इंटरव्यू
  2017-07-05 16:35:47  cri

भारत स्थित चीनी राजदूत लो चाओ ह्वेई ने 4 जुलाई को पीटीआई को इंटरव्यू दिया और भारतीय सेना के सीमा पार की घटना के प्रश्नों के उत्तर दिये ।

तूंगलांग क्षेत्र की स्थितियों की चर्चा करते हुए लो चाओ ह्वेई ने कहा कि इस क्षेत्र की स्थिति गंभीर है । मुझे बेहद चिन्ता है । यह पहली बार है कि भारतीय सेना ने चीन-भारत सीमा के निश्चित भाग को पार कर चीन की प्रादेशिक भूमि में प्रवेश किया है । इससे हालिया 19 दिनों के लिए दोनों सेनाओं के बीच गतिरोध पैदा होने की स्थितियों में ढील नहीं हो बरती गई ।

लो चाओ ह्वेई ने कहा कि मैं तीस से अधिक सालों तक चीन-भारत संबंधों से जुड़ा काम कर चुका हूं । लेकिन मेरी याद में यह चीन-भारत सीमा के सिक्किम भाग पर पहली बार ऐसी गंभीर घटना घटित हुई है । क्योंकि वहां की सीमा निश्चित सीमा ही है । सीमा का रेखांकन भी स्पष्ट है । दोनों पक्षों के बीच सहमति हुई और इस क्षेत्र में हमेशा शांति बनी रही है । भारतीय सेना द्वारा जो सीमा पार कर कदम उठाया गया है, वह पहले के अनिश्चित सीमांत क्षेत्रों में हुए टकराव से बिल्कुल अलग है ।

लो चाओ ह्वेई ने कहा कि सन 1890 में संपन्न "चीन और ब्रिटेन के बीच तिब्बत-भारत संधि" के मुताबिक भी कोई शक नहीं कि तूंगलांग क्षेत्र चीनी प्रदेशिक भूमि ही है । भारत की सरकारों ने अनेक बार लिखित रूप में इसकी पुष्टि की है यानी दोनों पक्षों के बीच सीमा के सिक्किम भाग की रेखांकन के प्रति कोई मतभेद नहीं है । यह संधि सिक्किम की मौजूदा स्थिति के स्वीकार करने का आधार है । चीन ने इसी आधार पर भारतीय श्रद्धालुओं के लिए नाथूला दर्रा खोला है । चीन का रुख है कि चीन-भारत सीमा के विवाद क्षेत्रों में सिक्किम भाग शामिल नहीं है । यहां तक कि सन 1962 में ही इस भाग में शांति बनी रही थी । लेकिन अब भारत ने यह पेश किया है कि चीन-भारत सीमा का सिक्किम भाग तय नहीं है जिससे न सिर्फ ऐतिहासिक संधि का उल्लंघन किया गया है बल्कि सीमांत क्षेत्र के नियंत्रण तथा द्विपक्षीय संबंधों को अधिक छिपे खतरे पैदा किये जाएंगे ।

लो चाओ ह्वेई ने कहा कि तूंगलांग क्षेत्र चीनी प्रदेशिक भूमि ही है और इस क्षेत्र का चीन हमेशा कारगर शासन करता रहा है । चीन ने सन 1980 से भूटान के साथ 24 चरणों की सीमा वार्ता की है । सीमा का रेखांकन न होने पर भी दोनों देशों के बीच सीमा रेखा की दिशा पर सहमति मौजूद है । दोनों देशों के बीच तूंगलांग चीन की प्रादेशिक भूमि होने के सवाल पर मतभेद नहीं है । भारत को चीन-भूटान वार्ता में हिस्सा लेने और भूटान के लिए सीमा तय करने का अधिकार नहीं है । भारत ने भूटान के बहाने पर चीनी सीमा में प्रवेश कर न सिर्फ चीन की प्रादेशिक भूमि का अतिक्रमण किया है बल्कि भूटान की स्वतंत्रता को चुनौती दी है ।

लो चाओ ह्वेई ने कहा कि भारत ने इस बात पर चीन का आरोप लगाया है कि चीन के निर्माण से सीमा की यथास्थिति बदली गयी है । पर तूंगलांग क्षेत्र हमेशा चीन की प्रादेशिक भूमि ही है और इस बात पर मतभेद नहीं रहा है । चीन ने अपनी प्रादेशिक भूमि के अंतर्गत निर्माण कर क्यों यथास्थिति बदली है?इसके विपरित है कि भारत ने चीन की प्रादेशिक भूमि में घुसकर यथास्थिति बदली है ।

लो चाओ ह्वेई ने कहा कि वर्तमान स्थितियों का समाधान करने के लिए चीन का स्पष्ट रुख होता है यानी कि पहला, भारत को बिना शर्त सैनिक वापस बुलाना चाहिए जो किसी भी वार्ता की पूर्वशर्त और आधार ही है । दूसरा, चीन भारत के साथ संबंधों को महत्व देता है । दोनों देशों को पारस्परिक सहयोग और मैत्रीपूर्ण संबंधों को प्यार से समझना चाहिये । तीसरा, सीमांत क्षेत्रों की शांति की रक्षा करना महत्वपूर्ण बात है ।

लो चाओ ह्वेई ने कहा कि चीन का रुख स्पष्ठ है । इस बात का कैसा समाधान होगा यह भारत के निर्णय पर निर्भर है । चीन ने घटना की शांतिपूर्ण समाधान के लिए अथक प्रयास किया है । हम पेइचिंग और नई दिल्ली के मार्गों से घनिष्ठ संपर्क कर रहे हैं । पर हमें संदेह है कि भारत भी समान प्रयास कर रहे हैं । कुछ समय पहले भारतीय सेना के किसी नेता ने कहा कि वह 2.5 मोर्चे पर युद्ध बोलेगा और भारत कि दूसरे एक नेता ने भी कहा कि भारत सन 1962 का भारत नहीं है । वो यह कहकर चीन को क्या संकेत देना चाहते हैं?

लो चाओ ह्वेई ने कहा कि अब भारत ने चीन की प्रादेशिक भूमि पर कब्जा कर लिया है । चीनी जनता इस बात पर बहुत क्रोधित है । चीन सरकार को भी बहुत ही दबाव का सामना करना है । सीमा सवाल दो देशों के बीच महत्वपूर्ण संवेदनशील सवाल ही है जो द्विपक्षीय संबंधों पर भारी प्रभाव पड़ेगा । अब कुंजी की बात है कि भारत को अपने सैनिकों को तुरंत वापस बुलाना पड़ेगा जो दोनों देशों के समान हितों के अनुकूल है ।

लो चाओ ह्वेई ने कहा कि चीन और भारत पड़ोसी देश हैं और दोनों ब्रिक्स व शांघाई सहयोग संगठन के सदस्य देश हैं । मेरा सतत रुख है कि दोनों देशों को अधिक सहयोग करना, सीमा सवाल का नियंत्रण करना, सवाल का सकारात्मक समाधान करना और द्विपक्षीय संबंधों की रूपरेखा तैयार करना चाहिये ताकि सीमा वार्ता की "जल्दी फसल" और चीन-भारत अच्छे पड़ोसी व मैत्री संधि पर हस्ताक्षर हो जाएं ।

लो चाओ ह्वेई ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने चीन और भारत को दो शरीर, एक ही भावना का वर्णन किया था । मेरी आशा है कि इस बात का कार्यांवनय किया जाना चाहिये । तूंगलांग सवाल के समाधान से भारत की सच्चाई का परीक्षण हो जाएगा ।

( हूमिन )