नये दौर में नये सुरक्षा विचारों की आवश्यकता है: चीनी राजदूत
  2015-04-23 18:21:08  cri

शीत युद्ध के समय प्रचलित जीरो सम यानी कुल जोड़ शुन्य खेल, 、युद्धपोतों की नीति और शस्त्रीकरण स्पर्धा आदि सुरक्षा के विचार दिन प्रति दिन चलते नहीं रहते हैं। 22 अप्रैल को भारत के राष्ट्रीय रक्षा कॉलेज में चीनी राजदूत ले यूछेंग ने भाषण देते हुए यह बात कही। उन्होंने कहा कि मानव को नया सुरक्षा विचार स्थापित करना चाहिये। सभी पक्षों को सहयोग के माध्यम से शांति संपन्न करना चाहिये और सहयोग के माध्यम से सुरक्षा बढ़ानी चाहिये।

ले यूछेंग ने कहा कि पिछले 30 वर्षों में विश्व की परिस्थिति में आश्चर्यजनक परिवर्तन आया हैं। विश्व की सुरक्षा पारस्परिक, समान, सामूहिक और आपसी-निर्भरता का आकार ले रही है।

उन्होंने कहा कि चीन में यह कहावत है कि बड़ा देश होने पर भी युद्ध के लिये उत्साहित रहने से मौत होगी। साथ ही चीन में मेल मिलाप पर बड़ा ध्यान दिया जाता है, जो भारत के परंपरागत अहिंसा वाले विचारों से मिलत-जुलता है। ले यूछेंग ने चीन और भारत से सुरक्षा के क्षेत्र में आपसी सहयोग को मज़बूत करने की अपील की है।

लंबे अरसे में चीन और भारत ने पंचशील के मार्गदर्शन के तहत सीमा मुद्दे समेत ऐतिहासिक मामलों का उचित तौर पर निपटारा किया है। दोनों देशों के सीमा क्षेत्र में गोलियों की एक भी आहट सुनाई भी नहीं दी है, जिससे मित्रवत सहयोग का द्वार खुला हुआ है।

भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आगामी चीन यात्रा के बारे में उन्होंने कहा कि इस यात्रा से दोनों देशों के साझेदार संबंधों को अवश्य बढ़ावा मिलेगा, जिससे एशिया, यहां तक कि विश्व की शांति और विकास के लिये नया योगदान किया जाएगा। (लिली)