तिब्बत की सहायता करने वाले भीतरी कर्मचारियों के तिब्बत से अपार प्यार तिब्बत के शिकाज़े प्रिफ़ैक्चर की या तोंग कांउटी के कम्युनिस्ट पार्टी कमेटी के उप सचिव श्री शी वन छिंग शांग हाई से आए कर्मचारी हैं । तिब्बत आने के बाद उन्हें यहां की विशेष सुन्दरता बड़ी आकृष्ट हुई , उन्होंने कहा कि तिब्बत के सुन्दर प्राकृतिक दृश्य और सीधे सादे स्वभाव वाले तिब्बती बंधुओं के प्रति उन का गहरा प्यार है ।
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तिब्बत के शिक्षा कार्य की सहायता पर्यटन के लिए तिब्बत एक अच्छी जगह है, लेकिन यहां का विशेष पठारी मौसम, सुर्य की तेज धूप और कम आक्सिजन का वातावरण लोगों के स्वास्थ्य के लिए चुनौती है, विशेषकर चीन के भीतरी इलाके से आए लोगों के लिए तिबब्त में रहना बहुत कठिन होता है ।
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तिब्बत की सहायता वाले कर्मचारी ह होंग जी की कहानी तिब्बत की गरीबी और पिछड़पन को दूर करने के लिए वर्ष 1980 में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की केंद्रीय समिति ने तिब्बत कार्य संबंधी चार बैठकें बुलायीं, जिन में समूचे देश से तिब्बत को सहायता देने का ढांचा तया किया गया। पार्टी की इस नीति से प्रेरित हो कर देश के भीतरी इलाके से बड़ी संख्या में कर्मचारी तिब्बत आये और उन्होंने तिब्बत के विकास के लिए अपना योगदान किया ।
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नेपाली नागरिकों की आंखों में तिब्बत इधर के सालों में अनेक भारतीय व नेपाली चीन के तिब्बत स्वायत्त प्रदेश में तीर्थ-पर्यटन या व्यापार करने आये। अपनी हाल की तिब्बत यात्रा के दौरान मेरी कई नेपालियों से मुलाकात हुई। इन लोगों में से कुछ तिब्बत व्यापार के सिलसिले में पहुंचे तो कुछ पर्यटन के लिए। तिब्बत में कुछ समय से रह रहे या फिर केवल यात्रा कर रहे इन सभी लोगों को तिब्बत से गहरा प्यार है।
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फाला जागिर का पुराने भूदास मी मातुन चू की कहानी 70 वर्षीय मी मा तुन चू बान जयूलुन बू गांव में एक साधारण वासी है । 13 वर्ष की उम्र में वह फाला जागिर में भूदास बन गई थी । भूदास बनने के समय मी मा तुन चू का जीवन स्तर बहुत नीचा था, हर रोज़ उस की आमदनी सिर्फ़ एक चमची का जानबा नामक तिब्बती खाना और थोड़ा सा तिबब्ती जौ का मदिरा था, और इतनी ही कम चीजों से मी मा तुन चू को अपने बच्चों को पालना पड़ता था ।
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